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सीहोर। संतों भगवान के भक्तों को हर युग में राक्षस रूपी लोगों के द्वारा सताया गया है। सतयुग में प्रभु श्रीराम ने ऋषि विश्वामित्र के निर्देश पर 14 हजार राक्षसों को विश्व शांति और संतों की रक्षा के लिए वेकुंड भेज दिया था। राक्षसों की कमी आज भी नहीं है दान पुण्य और भक्ति से रोकने वाले राक्षसों से कम नही है उक्त बात शुक्रवार को हनुमान फाटक पर जारी श्रीमद भागवत कथा में श्रीरामजन्म स्वयंर और राजा दशरथ एवं जनक की कथा श्रद्धालुओं को सुनाते हुए भागवत भूषण पंडित रवि शंकर तिवारी ने कहीं
पंडित श्री तिवारी ने महिलाओं को शिक्षा देते हुए कहा की पतिवृता नारी शक्तिशाली होती है राजा दशरथ की दासी भी पतिवृता थी कथा आती है की जनक ने यज्ञ किया किसी विशिष्ठ ऋषि ने उनके हरे भरे बाग को क्रोधित होकर श्राप दे दिया। ऋषि ने कहा था की जो भी पतिवृता नारी बाग में जल अर्पित कर देगी पूरा बाग फिर से हरा भरा हो जाएगा। राजा जनक ने राजा दशरथ को समस्या से अवगत कराया और किसी भी रानी को जनकपुरी भेजने की विनती की। राजा दशरथ की रानियों ने स्वयं नहीं जाते हुए दासी को भेज दिया इस बात को राजा जनक को नहीं बताया दासी के बाग में कदम पड़ते ही बाग हरा भरा हो गया। भगवान के महल की दासी भी पतिवृता होती थी। कथा के दौरान श्रीराम सीता का विवाह कराया गया वरमाला कराई गई श्रीकृष्ण जन्म भी मनाया गया। भागवत कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में शहर सहित सहित आसपास के गांवों नागरिक भी पहुंच रहे
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