बिलासपुर । रतनपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम खैरखुंडी में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक तालाब में मछली पकडऩे डाले जाल में एक के बाद एक तीन मगरमच्छ फंसकर बाहर निकले। घबराए ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दी। इस पर अमला पहुंचा और रस्सी से बांधकर पकड़ा गया। इसके बाद सुरक्षित खूटाघाट में छोड़ दिया गया।
घटना बुधवार सुबह सात से आठ बजे के बीच की है। खैरखुंडी गांव ग्रामीण मछली पकडऩे के लिए जाल बिछाए हुए थे। थोड़ी देर बाद जब तालाब में डाले गए जाल को खींचा गया तो कुछ भारी लगा। ग्रामीण बेहद खुश हुए, उन्हें लगा बड़ी मछली जाल में फंस गई। वह इसी खुशी के साथ जाल को खींचने लगे। पर जाल बाहर निकला और उसके बाद जो नजारा था, उसे देखकर ग्रामीणों की आंखें खुली की खुली रह गई। तीन जाल में मछली की जगह भारी भरकम मगरमच्छ थे।


इससे ग्रामीण घबरा गए और दूर हट गए। इधर जब गांव के अन्य ग्रामीणों को इसकी सूचना मिली तो मगरमच्छ देखने वालों की भीड़ लग गई। एक बार तो ग्रामीणों ने वापस मगरमच्छों को तालाब में छोडऩा चाहा पर इसकी वजह से बाद में कोई दुर्घटना न हो जाए, यहीं सोचकर उन्होंने आनन- फानन में वन विभाग को सूचना दी। जानकारी मिलते ही वन अमला खैरखंडी पहुंचा।
इसके बाद तीनों मगरमच्छों के शरीर को अच्छी तरह से रस्सी में बांधा गया। इस उपाय को किए बगैर यदि पकड़ते थे मगरमच्छ नुकसान पहुंचा सकता था। अच्छी तरह बांधने के बाद ग्रामीणों की मदद से तीनों मगरमच्छों को उठाकर विभागीय वाहन में डाला गया। इसके बाद उसे लेकर खूटाघाट के लिए रवाना हो गए। तालाब से खूटाघाट की दूरी करीब चार से पांच किमी है।
तालाब मालिक कई बार दे चुका था सूचना
यह तालाब रमेश सिंह राजपूत का है। उन्होंने तालाब में मगरमच्छ होने की सूचना कई बार वन विभाग, कानन पेंडारी जू और मत्स्य विभाग को दे चुका है। दरअसल वह इस तालाब में मछली पालन करते हैं। पर इससे आधी से ज्यादा मछलियां को मगरमच्छ खा जाते हैं। उन्होंने मगरमच्छ होने की सूचना के साथ सभी को पकड़कर खूटाघाट में छोडऩे के लिए कई बार निवेदन किया, लेकिन किसी ने उनकी समस्या नहीं सुनीं।