भोपाल : विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा है कि वास्तु विज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो जीवन के हर पहलु को स्पर्श करता है। यह हमारे मूल उद्देश्य को लेकर जीवन में कुछ बेहतर करने के लिए हमें एक ऐसे सांचे में ढालता है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी देखा और महसूस किया जा सकता है।

मंत्री श्री सखलेचा शुक्रवार को मैनिट के सिविल विभाग के सभागार में ‘भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान’ विषय पर राष्ट्रीय स्तर की वास्तुकला रचना प्रतियोगिता का शुभारंभ कार्यक्रमों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस प्रतियोगिता की उपयोगिता बताते हुए युवाओं को भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के लिए हमारे देश के वैज्ञानिकों का भी अहम योगदान रहा है और ये विषय भारत के लोगों के बीच गंभीरता से रखा जाना चाहिए। हमारे वैज्ञानिकों के त्याग और देश के लिए किए गए कार्यों को जनमानस में प्रदर्शित करना, जाकरूकता फैलाना अब हमारा कर्तव्य है।

श्री सखलेचा ने वास्तु विज्ञान का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनियाभर के लोग भारतीय प्राचीन कला को देखने आते हैं एवं अध्ययन करते हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से पुराने ख्याल दुनिया के सामने उजागर होंगे जिसे आने वाले पीढ़ी तक स्मरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम सभी मंथन कर अपने विचार पेश करेंगे और जिन्हें अपने इतिहास में सम्मान नहीं मिला है उसे हम अब सम्मान दिलाएंगे।

श्री जयंत सहस्रबुद्धे ने तथ्यपूर्ण उद्बोधन में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न वैज्ञानिकों की भूमिका, उनके संघर्ष और उनके बलिदान पर प्रकाश डाला। साथ ही जहां डॉ अमोघ गुप्ता ने प्रतियोगिता के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया, वहीँ डॉ एन. एस. रघुवंशी ने अपने व्यक्तव्य में स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं से आज के युवाओं को परिचित कराने में ऐसी प्रतियोगिताओं की भूमिका पर बल दिया। इसके अलावा डॉ राजीव कुमार ने अपने उद्बोधन में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा युवाओं को देश की संस्कृति से परिचित कराने किये जा रहे प्रकल्पों के बारे में बताया। डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया ने अपने व्यक्तव्य में युवाओं की असीमित संभावनाओं और राष्ट्र-निर्माण के लिये उनके संकल्पों की महत्ता के बारे में बताया।

  राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जा रही इस वास्तुकला रचना प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय वैज्ञानिकों के अतुलनीय योगदान को एक स्मारक और संग्रहालय के रूप में प्रस्तुत कर ना सिर्फ सम्मान और पहचान देना है, बल्कि भारतीयों की वर्तमान पीढ़ियों के समक्ष उस योगदान को एक अत्यंत रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत भी करना है। यह प्रतियोगिता वर्तमान में अध्ययनरत स्कूली छात्रों के साथ ही साथ अध्ययनरत और कार्यरत वास्तुविदों एवं योजनाकारों को एक अनूठा मौक़ा देगी, जिससे वे इन महान विभूतियों और उनके अतुल्य योगदानों को अपनी रचनात्मकता से एक बड़े स्तर पर प्रस्तुत कर जनसाधारण के बीच उनके जीवन और योगदान का सन्देश प्रेषित कर प्रेरणा का संचार कर पाएंगे। प्रतियोगिता के अंतर्गत स्मारक और संग्रहालय के आकल्पन को उज्जैन के तारामंडल परिसर (अंतरिक्ष परिसर, नाना खेरा बस स्टैंड के पास, सेक्टर सी, बसंत बिहार, उज्जैन-456010) स्थित 6 एकड़ के स्थान के लिये प्रस्तावित किया जाएगा।

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत होने जा रही इस प्रतियोगिता को मैनिट, मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, विज्ञान भारती, आई.पी.एस. एकेडमी इंदौर एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद मिल कर आयोजित कर रहे हैं।

इस अवसर पर मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक श्री अनिल कोठारी , जवाहरलाल राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ रुचिर गुप्ता उपस्थित थे।