रायपुर। देश भर में प्रदेश का गौरव बढ़ाने वाली एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जंगल सफारी बदहाली का शिकार हो रही है। प्रदेश ही नहीं देश भर से जंगल सफारी घूमने आ रहे पर्यटकों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है, क्योंकि जंगल सफारी में पर्यटकों को घुमाने के लिए प्रबंधन के पास पर्याप्त मात्रा में बस नहीं हैं। महज चार बसें सेवा दे रही हैं, बाकी 22 बसें धूल फांक रही हैं। महज इन चार बसों से ही पर्यटकों को घुमाया जा रहा है। बस की कमीं के चलते रविवार को करीब 1400 पर्यटकों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। इससे शासन को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ सफारी से वापस लौटने वाले पर्यटक अपना गुस्सा कर्मचारियों के ऊपर निकाल रहे हैं। जंगल सफारी के अधिकारी का कहना है शासन से बजट मांगा गया है। राजधानी से करीब 25 किलोमीटर दूर नया रायपुर में 800 एकड़ में जंगल सफारी बनाई गई है। जंगल सफारी में पर्यटकों के लिए टाइगर, लायन, वाइट टाइगर, तेंदुआ, कछुआ, दरियाई घोड़ा, घड़ियाल, हिमालयन भालू और गोह आदि पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। उन्हें देखने के लिए प्रदेश से ही नहीं, दूसरे प्रदेश से भी पर्यटक पहुंचते हैं। बजट मिलते ही बसों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। ज्ञात हो कि चारों जंगल सफरी में पर्यटकों को घुमाने के लिए शासन ने वर्ष 2015 में 26 बसें खरीदी थीं। उस समय एक दिन में करीब तीन से चार हजार पर्यटक आसानी से सफारी घूम लेते थे। कोरोना संक्रमण के बाद बसों का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया था। इस वजह से 22 बसें खराब हो गई है। सिर्फ चार बसों से ही पर्यटकों को घुमाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद जंगल सफारी में पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। 11 दिसंबर रविवार को छुट्टी के ढ़ाई हजार से अधिक पर्यटक जंगल सफारी पहुंचे थे, जिसमें सिर्फ 1,100 पर्यटक को ही प्रवेश दिया गया। बाकी पर्यटकों को वापस लौटना पड़ा। एक माह में 23 लाख का खर्च जंगल सफारी के सूत्रों की मानें तो जंगल सफारी में वर्तमान में 260 कर्मचारी काम कर रहे हैं। जंगल सफारी का एक महीने का खर्च 23 लाख रुपये है, लेकिन वर्तमान में जंगल सफारी की आय सिर्फ 12 लाख रुपये है। सफारी को 11 लाख रुपये प्रतिमाह घाटा लग रहा है। सफारी प्रबंधन को सफारी का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है। प्रबंधन ने बस के लिए 40 लाख का बजट बनाकर शासन को भेजा है, लेकिन शासन ने अभी तक बजट की स्वीकृति नहीं दी। इस वजह से बसों के मरम्मत का कार्य नहीं हो पाया हैयह भी पढ़ें कोरोना निगेटिव आने के बाद भी नहीं मिल रहा मौका जंगल सफारी पहुंचने वाले पर्यटकों को सफारी का टिकट लेने के पहले कोरोना की जांच करानी पड़ रही है। वे करीब एक घंटे तक लाइन में लगकर कोरोना संक्रमण की जांच करा रहे हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद जब वह काउंटर पर टिकट लेने जा रहे हैं तो प्रबंधन अपनी कमी छुपाने के लिए टिकट फुल होने का बहाना बना रहा है। इससे पर्यटकों को मासूस होकर वापस लौटना पड़ रहा है।