नई दिल्ली | राजधानी दिल्ली में पहली बार बंदरों की गणना करने का निर्णय लिया गया है। दिल्ली सरकार के वन एवं वन्यजीव विभाग ने इस आशय का निर्णय एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। बंदरों की गणना का यह काम देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीटय़ूट आफ इंडिया को दिया जाएगा। विभाग ने निर्णय लिया है कि राजधानी दिल्ली में किसी भी कालोनी में लोगों द्वारा बंदरों को खाना खिलाने पर नगर निगम द्वारा चालान किया जाएगा। अगर निगम के नियमों में इसके लिए चालान का प्रविधान नहीं है तो चालान संबंधी नियम नगर निगम बनाएंगे व इसका सख्ती से पालन करेंगे। बंदर, सांप व नीलगाय पकड़ने के लिए वन विभाग की ओर से कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। दिल्ली हाइकोर्ट ने राजधानी में बंदरों के प्रकोप को कम करने का आदेश दिया है जिसके बाद वन विभाग बंदरों की गणना कर उनको पकड़ने व रख-रखाव के लिए सक्रिय हो गया है। वन विभाग द्वारा निगमों को निर्देश दिया गया है कि तीनों निगम अपने क्षेत्र में लोगों द्वारा बंदरों को दिए जाने वाले भोजन या फल रखने का स्थान तय कर दें ताकि लोग नियत स्थान पर ही खाना व फल रख दें। जहां तहां बंदरों को खाना खिलाने पर प्रतिबंध रहेगा। बंदरों को पकड़े जाने पर उनका डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा। काफी बंदर पकड़े जाने पर वन विभाग के अधिकारी उसके स्वास्थ्य की जांच कराएंगे कि उन्हें कोई खास बीमारी तो नहीं है, जिसके बाद सभी बंदरों को असोला भाटी माइंस सैंक्चुअरी के जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। बंदर पकड़ने वालों को मिलेगा प्रशिक्षण वन विभाग ने निर्णय लिया है कि राजधानी में बंदर पकड़ने वालों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीटय़ूट आफ इंडिया में दिया जाएगा ताकि उनकी क्षमता बढ़ाई जा सके। वाइल्डलाइफ इंस्टीटय़ूट को नीलगाय व सांप पकड़ने वालों को भी प्रशिक्षित करने के लिए विशेष माडय़ूल तैयार करने कहा जाएगा। वन विभाग ने दिल्ली सरकार के विकास विभाग से आग्रह किया है कि तात्कालिक रूप से वेटनरी डाक्टर उपलब्ध कराया जाए। वन विभाग अपने स्तर पर भी वेटनरी डाक्टर का प्रबंध करेगा ताकि पकड़े गए वन्य जीवों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल हो सके।
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