
लंदन । घातक कोरोना वायरस के दंश को पूरी दुनिया ने झेला उसकी उत्पत्ति को लेकर चीन पर ही आशंका जताई जा रही थी। अब बड़ी खबर आ रही है कि इसके प्रसार में वुहान लैब का हाथ है हालांकि चीन इस लीक को छिपाने की कोशिशों में लगा हुआ है। ब्रिटेन के सांसदों को ऐसी जानकारी मिली है। हाउस ऑफ कॉमंस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी के सामने इस बात की गवाही देने वाली हार्वर्ड की साइंटिस्ट अलीना चान का मानना है कि कोविड-19 आनुवंशिक रूप से चीन में बनाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने दो साल पहले ही वुहान में महामारी के असली स्वरूप पर काबू पा लिया था। इसके साथ वह लैब लीक की बात को साबित करने के लिए किए जा रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिसर्च में रोड़े अटका रहा है।
महामारी की उत्पत्ति के पीछे प्रयोगशाला रिसाव की आशंका के बारे में समिति द्वारा पूछे जाने पर, चान ने कहा, ‘इस बिंदु पर महामारी की प्राकृतिक उत्पत्ति की तुलना में प्रयोगशाला से उत्पत्ति अधिक होने की संभावना है।’ उन्होंने कहा, ‘हम सभी सहमत हैं कि हुआन सीफ़ूड मार्केट में एक अहम घटना हुई थी, जो मनुष्यों के कारण होने वाली प्रसार की सबसे बड़ी घटना थी। उस बाजार में जानवर के कारण वायरस की प्राकृतिक उत्पत्ति की ओर इशारा करने वाला कोई सबूत नहीं है।’
एक मेडिकल जर्नल में भी सहमति व्यक्त की कि कोविड-19 के पीछे प्रयोगशाला रिसाव सिद्धांत एक 'परिकल्पना है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है और इसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा संदर्भित मामलों के परिप्रेक्ष्य में आगे जांच की आवश्यकता है।’ चान के साथ वायरस कि उत्पत्ति के बारे में किताब लिखने वाली टोरी लॉर्ड रिडले कहती हैं कि विशेषज्ञ अभी भी एनिमल होस्ट का पता नहीं लगा सके हैं जिससे पता चले कि इसकी उत्पत्ति प्राकृतिक थी। दो साल की जांच फिलहाल इस धारणा का समर्थन करती है कि कोविड-19 एक लैब से निकला था। चीन की कोशिशों को छुपाने की हालिया खोजों ने ब्रिटिश और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को लैब-रिसाव के विचार की गंभीरता से जांच करने के लिए मजबूर किया है, जिसे पहले एक साजिश के तहत बनाया गया सिद्धांत माना जाता था। दूसरी ओर, इस तरह के विस्फोटक आरोपों से ब्रिटेन सरकार पर बीजिंग के इस दावे पर सवाल उठाने का दबाव बनने की उम्मीद है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक थी। ऐसी भी उम्मीद जताई जा रही है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के डब्ल्यूएचओ के साथ संबंध के बारे में भी सवाल उठ सकते हैं, जिस पर पिछले साल प्रकोप पर एक क्लीयर रिपोर्ट जारी करने का आरोप लगाया गया था।
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