नोएडा। यमुना एक्सप्रेसवे पर इस साल कम हादसे हुए हैं साथ ही मौतों का आंकड़ा भी कम हो गया है। बीते 5 साल की बात करें तो उसके मुकाबले 50 फीसद से भी कम हादसे हुए हैं। हादसे कम होने के पीछे सुप्रीम कोर्ट की पहल पर दी गई आईआईटी, दिल्ली और सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट है। पहले की बात करें तो शुरू होने के बाद से ही 2.5 घंटे का यमुना एक्सप्रेसवे का सफर जिंदगी पर भारी पड़ रहा था। एक साल में ही एक हजार से ज्यादा एक्सीडेंट हो रहे थे। मौत का आंकड़ा भी 140 को पार कर गया था। जानकारों की मानें तो 2021 में नवंबर तक यमुना एक्सप्रेसवे पर कुल 389 हादसे हुए हैं। जबकि इन हादसों में मरने वालों का आंकड़ा 123 है। सीआरआरआई और आईआईटी, दिल्ली की रिपोर्ट के बाद यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों और मौतों का यह सबसे कम आंकड़ा है। जबकि 2015 में एक्सप्रेसवे पर हुए 919 हादसों में 143 लोगों की जान चली गई थी।
  2016 में तो यह आंकड़ा और भी डराने वाला था। 2016 में हुए 1193 हादसों में 128 लोगों ने रोड एक्सीडेंट में अपनी जान गवांई थी। जबकि एक आरटीआई के मुताबिक यमुना एक्सप्रेसवे पर अगस्त 2012 से लेकर जनवरी 2018 तक 5000 एक्सीडेंट हुए और उसमे 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इन्हीं हादसों में करीब 2000 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। आईआईटी दिल्ली और सीआरआरआई ने यमुना एक्सप्रेस-वे पर एकसीडेंट रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए थे। इसमे से एक अहम सुझाव यह भी था कि सेंट्रल वर्ज पर क्रैश बैरियर लगाए जाएं। जिससे की एक्सीडेंट होने पर एक साइड का वाहन दूसरी साइड पर जाकर जानलेवा न बन जाए। इसके साथ ही यह भी कहा था कि दो टोल बूथ के बीच में औसत स्पीड तय की गणना की जाये और जो इसका उल्लंघन करे उस पर फाइन लगाया जाये। एक्सप्रेसवे पर जगह-जगह पर स्पीड कैमरे के विषय में लिखा जाए जिससे वाहन चालक को फाइन और कार्रवाई का डर बना रहे। हर रोज एक्सप्रेसवे के अलग-अलग स्थानों पर स्पीडिंग और जिगजैगिंग की चैकिंग के लिये पेट्रोल वाहन तैनात किए जाएं। ऐसे वाहन जो एक्सप्रेसवे के किनारे रूक जाते हैं, उन पर रोक लगनी चाहिए। टोल बूथ पर अचानक से किसी भी वाहन चालकों की मदिरापान की चैकिंग होनी चाहिए। यातायात नियमों के एनफोर्समेन्ट के लिये यह पहल यूपी पुलिस द्वारा की जानी है।