बालासोर: भारत ने मंगलवार को लंबी दूरी की सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो (Supersonic Missile Assisted Torpedo) का सफल परीक्षण किया है. ओडिशा के बालासोर तट से इस मिसाइल (Missile) को छोड़ा गया. डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने इस बात की जानकारी दी. डीआरडीओ (DRDO) ने कहा कि इस मिसाइल को भारतीय नौसेना के सबमरीन वॉरफेयर को मजबूती देने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है. यह मिसाइल पारंपरिक टॉरपीडो की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली है.एंटी सबमरीन वॉरफेयर ऑपरेशन, जो कि टॉरपीडो रेंज से अधिक शक्तिशाली है. SMART मिसाइल लाइट वेट एंटी सबमरीन टॉरपीडो सिस्टम में मददगार होगी. टॉरपीडो एक स्वचलित हथियार है जो कि पानी के अंदर सीमित दूरी में अपने लक्ष्य को भेदता है. डीआरडीओ ने 2010 में मिसाइलों द्वारा टारपीडो लॉन्च करने की क्षमता निर्माण के लिए एक परियोजना शुरू की और इस प्रणाली का पहला टेस्ट 4 अक्टूबर 2020 किया गया था.
टॉरपीडो क्या है
टॉरपीडो सिगार के आकार का पानी में छोड़े जाने वाला एक स्वचलित हथियार है जिसे सबमरीन से लॉन्च किया जाता है. टॉरपीडो समंदर की गहराई में विस्फोट करके अपने लक्ष्य को भेद देता है. भारत में पहला स्वदेशी टॉरपीडो वरुणास्त्र था जिसे एंटी सबमरीन इलेक्ट्रिक टॉरपीडो के तौर पर लॉन्च किया गया था.
SMART मिसाइल का महत्व
स्मार्ट मिसाइल को डीआरडीओ और रिसर्च सेंटर इमरात दोनों ने हैदराबाद में, एरियल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेबलिशमेंट, आगरा और नेवल साइंस एंड टेक्वनोलॉजी लैबोरेट्री विशाखापट्टनम मिलकर विकसित किया है. इस मिसाइल के परीक्षण से देश की सामरिक शक्ति में वृद्धि होगी और नौसेना की क्षमताओं में इजाफा होगा. एंटी सबमरीन वॉरफेयर के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. साल 2003 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी. यह पनडुब्बी रोधी युद्धपोत का एक प्रकार है जो वर्तमान में भारतीय नौसेना में सेवारत है. इसमें आईएनएस कमोर्ता, आईएनएस कदमत, आईएनएस किल्टन और आईएनएस कवरत्ती शामिल हैं.
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