बिहार | के भोजपुर जिले के गड़हनीदेवढ़ी स्थित बिहार डिस्टलरीज एण्ड बाटलर्स कंपनी से एशिया में सबसे अधिक एथेनाल का उत्पादन होगा। 

यहां प्रति दिन चार लाख लीटर एथेनाल का उत्पादन होगा। 

अगले साल मार्च से उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पहले से भी कंपनी ढाई लाख लीटर प्रतिदिन एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनएका उत्पादन करती है।

 आपको बता दें कि केंद्रीय पथ परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने की बात कही है।

 ऐसे वाहन पेट्रोल के साथ ही एथेनाल का भी इस्तेमाल ईंधन के तौर पर कर सकेंगे। इससे प्रदूषण कम होगा।

एथेनाल की आपूर्ति पेट्रोलियम कंपनियों को की जाएगी। 

पेट्रोलियम कंपनियों को एथेनाल की आपूर्ति किए जाने को ले एक्सप्रेशन आफ इंटरनेस्ट जो जारी किया गया है। उसमें एथेनाल उत्पादन बनाने का जिम्मा बिहार में 10 नई कंपनियों को मिली है। 

इसके पहले छह कंपनियां एथेनाल का उत्पादन के लिए लाइसेंस मिली थी। 

भोजपुर की कंपनी की क्षमता बिहार ही नहींबल्कि एशिया के सबसे अधिक एथेनाल बनाने वाली चंड़ीगढ़ डिस्टीलरी  बोटलर्स कंपनी से भी अधिक होगी। चंड़ीगढ़ की कंपनी ढाई लाख लीटर प्रतिदिन उत्पादन करती है। एथेनाल उत्पादन के लिए कंपनी की ओर से जिले में ढाई सौ करोड़ रुपये निवेश किया गया है। 

इससे बिहार सरकार को प्रतिमाह तीन करोड़ 40 लाख रुपये राजस्व की प्राप्ति होगी। 

बिहार में शराबबंदी के बाद इस कंपनी में ताले जड़ गए थे। सर्वोच्च न्यायाल के आदेश से सत्र 2018-

19 में ईएनए बनाने का काम शुरू हुआ था।

कंपनी के जानकार ने बताया कि पूर्व के प्लांट में तकनीकी फेरबदल की गई है। 

पहले भी कंपनी ने 150 करोड़ रुपये निवेश की है। कंपनी में पहले से 350 लोगों को रोजगार मिला है। 

एथेनाल उत्पादन होने से 150 नए लोगों का रोजगार मिलेगा। 

वहींअप्रत्यक्ष रूप से लगभग चार सौ लोगों को रोजगार मिलेगा।

चावल की खुदी से बनेगा इथेनाल

भोजपुररोहतासकैमूर  बक्सर जिले को धान का कटोरा कहा जाता है। 

यहां राइस मिल से भारी मात्रा में चावल बनाए जाते हैं। चावल के अवशिष्ट जो चावल के छोटे टुकड़े होते हैं। 

उसकी कीमत बाजार में नहीं के बराबर है। 

हालांकि पहले से भी कंपनी उपरोक्त जिलों से कच्चा माल प्राप्त करते रही है। 

बताते चलें कि एथेनाल का उत्पादन गन्नाचावल  सड़ा भोजन होता है।

 एथेनाल का बाजार में कीमत 55 रुपये प्रति लीटर है। इस पर सरकार को जीएसटी की प्राप्ति होती है।