चंडीगढ़: किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ मंगलवार को चली लंबी बैठक के बाद राज्य में नौवें दिन सात जिलों में रेल ट्रैक पर बैठे किसानों ने धरना हटा लिया। फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, टांडा सहित सभी स्थानों से किसानों ने रेलवे ट्रैक खाली कर दिए हैं। इसके साथ ही रेल यातायात भी मंगलवार शाम बहाल हो गया। बुधवार को अमृतसर, जम्मू और फिरोजपुर से शुरू 47 ट्रेनों का आवागमन शुरू हो जाएगा। उत्तर रेलवे के फिरोजपुर मंडल ने बुधवार से चलने वाली 47 ट्रेनों की लिस्ट भी जारी कर दी। सात ट्रेनें रद रहेंगी।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सतनाम सिंह पन्नू और महासचिव सरवण सिंह पंधेर ने धरना हटाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ बैठक कर उनकी मांगो को एक सप्ताह में पूरा करने कर आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन चार जनवरी तक स्थगित किया गया है और सरकार की नीयत देखी जाएगी। अगर इन सात दिनों में किसानों के मसले हल न किए गए तो फिर से रेलवे का चक्का जाम कर दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने ट्रेनें बंद होने से यात्रियों को हुई परेशानी पर खेद भी जताया।
आलू उत्पादक व उद्योग सेक्टर रहा प्रभावित
किसानों के रेल ट्रैक पर बैठने के कारण कृषि और उद्योग सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ। आलू उत्पादकों को अपनी फसल उत्तर-पूर्व भिजवाने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। आलू ले जाने वाले स्पेशल किसान रेल का संचालन नहीं हो सका। जालंधर पोटैटो ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव जसविंदर सिंह मट्टू संघा ने कहा कि हालांकि किसान आंदोलन शुरू होने से पहले ही काफी आलू निकल चुका था, लेकिन ट्रेनों का आवागमन बंद हो जाने से कुछ दिक्कत जरूर हुई है।
उधर, जालंधर में विक्टर टूल्स के संचालक अश्विनी विक्टर ने कहा कि ट्रेनों का संचालन बंद होने की वजह से माल की सप्लाई की रफ्तार कम हो गई है। तैयार माल का समय पर बंदरगाह तक पहुंचना जरूरी होता है, लेकिन किसानों के धरने की वजह से अड़चन आई। स्पोर्ट्स गुड्स मेन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव व साबी इंटरनेशनल के संचालक मुकुल वर्मा ने कहा कि ट्रेनों का आवागमन बंद होने की वजह से रा मैटीरियल की किल्लत महसूस होने लगी। तैयार माल की डिलीवरी भेज पाना चुनौती बना हुआ था।
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