बिलासपुर । प्रभु श्री सीताराम जीके विवाह पंचमी दिवस 8 दिसंबर बुधवार को अमरकंटक मां नर्मदा उद्गम क्षेत्र संत श्री श्री सीताराम जी महाराज के चक्रतीर्थ आश्रम में आयोजित किया भंडारा प्रसाद कन्या पूजन साधु संत महात्मा इन सभी की उपस्थिति प्रसादभंडारे को किया शोभायमान, हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी मनाई जाती है। इस प्रकार 8 दिसंबर को विवाह पंचमी ,धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सीता स्वंयवर और मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम का विवाह हुआ था।
अत: हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को शादी सालगिरह मनाया जाता है। अत: विवाह पंचमी का विशेष महत्व है। इस उपलक्ष्य पर समस्त भारतवर्ष में उत्स्व मनाया जाता है। साथ ही घरों में भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा-उपासना की जाती है। आइए, इसके बारे में कुछ जानते हैं।


विवाह पंचमी का महत्व सनातन धर्म में विवाह पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन मंदिर-मठों को सजाया जाता है। अयोध्या और जनकपुर में विशेष आयोजन किया जाता है। कई स्थलों पर सीता स्वंयवर और राम विवाह का नाट्य रूपांतरण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि विवाह-पंचमी के दिन सच्ची श्रद्धाभाव से माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा उपासना करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सौभाग्य में वृद्धि होती है।
प्रभु श्री राम माता जानकी के विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल श्रीमती शशि अग्रवाल सपरिवार मां नर्मदा की नगरी अमरकंटक पहुंचकर मां नर्मदा माई मंदिर में पूजा अर्चना कर संत श्री श्री सीताराम जी बाबा के आश्रम में राम जानकी विवाह पंचमी के प्रसाद भंडारे में हुए शामिल श्री श्री संत से लिया आशीर्वाद मां नर्मदा माई एवं प्रभु श्री राम से सभी की मंगल कामना हेतु की प्रार्थना।