भोपाल  एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। छोटे भाई तनुज सिंह और बेटे रिद्धमान ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान मौजूद हर शख्स की आंख नम थीं। पिता रिटायर्ड कर्नल केपी सिंह भी दुखी थे, लेकिन उन्हें नाज था कि बेटे ने देश पर अपनी जान न्यौछावर कर दी। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि लक्ष्य रखो तो वरुण जैसा। अपनी काबिलियत परखो और फिर मेहनत करो।

उसने (वरुण सिंह) ने क्लास 9 में ही फाइटर पायलट बनना तय कर लिया था। उन्हें कम्प्रोमाइज नहीं करना था। हमने सोचा कि अभी बच्चा है। हो सकता है कि कल बदल जाए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। यदि अपना लक्ष्य पहले से तय कर लें। सोच लें कि मुझे यही बनना है, तो फिर दिक्कत नहीं आएगी।

मुश्किल वाले थे वो 8 दिन

ग्रुप कैप्टन के पिता सिंह ने कहा कि वरुण रियल फाइटर थे। आखिरी दिनों में भी मौत से फाइटर की तरह ही लड़े। 8 दिन काफी मुश्किल वाले दिन थे। हर 3 से 4 घंटे पर माॅनिटरिंग होती थी। वरुण की सेहत ठीक नहीं थी। यह सब चलता रहा, लेकिन वह फाइटर था। लड़ता रहा कि मुझे नहीं जाना है, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। उसकी मर्जी के आगे कुछ नहीं कर सकते।

मेडिकल (हॉस्पिटल) वाले कहते थे कि वरुण फाइट कर रहा है। हमें संतोष और गर्व है। खास बात है कि हमें सभी फोर्स का सहयोग मिला। इलाज में कोई चीज ऐसी नहीं थी, जो नहीं हो सकती थी।

दुख है, लेकिन गर्व भी है

रिटायर्ड कर्नल सिंह ने कहा कि मुझे और परिवार को दुख है। मैंने बेटा खोया है, लेकिन गर्व भी है। देशभर ने उनके ठीक होने के लिए दुआएं की। मैं देशवासियों का आभारी हूं। जो इस कठिन समय में मेरे और परिवार के साथ खड़ा है।

हादसे को लेकर बोले पिता

जांच के संबंध में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। इसे लेकर ग्रुप कैप्टन के पिता रिटायर्ड कर्नल सिंह ने कहा कि सवाल ठीक नहीं है, क्योंकि सबसे ज्यादा एक्सपीरियंस वाले कमांडर इन चीफ मामले को देख रहे हैं। कुछ भी कहना अफवाह ही कहना होगा। मुझे इस बारे में सोचना भी नहीं है।