रायपुर  ब्रम्हमुहूर्त में सुबह चार बजे से हजारों की संख्या में श्रद्धालु खारून नदी महादेव घाट में जुटना शुरू हो गए। जैसे-जैसे घड़ी के काटे बढ़ते गए वैसे ही श्रद्धालुओं ने नदी में स्नान कर दीपदान किया। देव दीपावली पर्व में महादेव घाट में दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राजधानी के विभिन्न संगठनों ने अपनी सहभागिता दी।

कार्यक्रम में प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल समेत मंत्रीविधायकों ने भी खारून नदी डूबकी लगाई। दूसरी ओर खारून में डूबकी लगाकर प्राचीन हटकेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना करके सुख-समृद्धि की कामना की।

उल्लेखनीय है कि खारून नदी में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर कई श्रद्धालु गुरुवार को देर शाम को ही पहुंच गए थे। वे महादेव घाट के मंदिरों में रहे। इसके बाद ब्रम्हमुहूर्त में स्नान कर दीपदान कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दी।

पुन्नी मेला का लोग ले रहे आनंद

एतिहासिक पुन्नी मेला शहर समेत ग्रामीण इलाकों के लोग अानंद ले रहे है। वे झूलेमिठाईयां खरीददार कार्तिक पूर्णिमा को यादगार बना रहे है। मालूम हो कि महादेव घाट पुन्नी मेला राज्य ही नहीं बल्कि देश में विख्यात है। वहीं मेले 600 साल पुराना है। जहां गांव के लोग भी बड़ी संख्या में जुटते है। इसी कारण स्नान और दीपदान के लिए अमलेश्वरटेकारीकाठाडीहभोथलीकुम्हारीजामगांवखुड़मुड़ा घाटपाटनअभनपुरआरंग जैसे कई इलाकों के ग्रामीण भी पहुंचे।

आकर्षक सजा घाटदिखा सप्तरंगी लाइ

महादेव घाट में श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए पहले से ही प्रशासन ने व्यवस्था कर ली थी। यहां घाट के चारों तरफ आकर्षक लाइट से सजाया गया। दूसरी और लक्ष्मण झूलापाटन जाने वाले पुल में भी आकर्षक सप्तरंगी लाइट का नजारा देखने को मिला। साथ ही लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम का अानंद लिया।

दीपदान का अलग ही महत्व

महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला ने अनुसार कार्तिक पूर्णिमा सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार बारह महीनों का अपना अलग-अलग महत्व तो हैलेकिन इन सभी मासों में कार्तिक माह अत्यधिक पवित्र माना गया है। भारत के सभी तीर्थों की यात्रा के समान पुण्य फलों की प्राप्ति एक इस माह में मिलती है।

इस माह में की गई स्नानदानपूजा और व्रत से ही तीर्थयात्रा के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति हो जाती है। इस माह के महत्व के बारे में स्कन्द पुराणनारद पुराणपद्म पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कार्तिक माह में किए स्नान का फलएक सहस्र बार किए गंगा स्नान के समानसौ बार माघ स्नान के समान है।