भोपाल : मंत्रालय में 26 नवंबर को संविधान दिवस पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्य मंत्री सामान्य प्रशासन एवं स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) श्री इंदर सिंह परमार ने सभी को संविधान दिवस की शुभकामनाएँ दी। उन्होंने संविधान दिवस को पूरे देश में मनाए जाने की पहल के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। राज्य मंत्री श्री परमार ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 26 नवंबर 2015 से पूरे देश में संविधान दिवस मनाने का निर्णय लिया था।

राज्य मंत्री श्री परमार ने कहा कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया। संविधान की उद्देश्यिका के दो शब्द अधिनियमित और आत्मर्पित इसका सार हैं। राज्य मंत्री श्री परमार ने कहा कि संविधान सौंपा या थोपा नहीं गया है बल्कि इसे हम सबने आत्मर्पित किया है। श्री परमार ने बाबासाहब डॉ. अम्बेडकर के जीवन संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने वसुधैव कुटुंबकम् के मूलभाव का समावेश एवं युगानुकूल परिवर्तन को स्वीकार करते हुए संविधान का निर्माण कर न केवल अधिकार बल्कि कर्त्तव्य-पथ भी दिखाया है।

राज्य मंत्री श्री परमार ने कहा उद्देश्यिका के मूल तत्व के समाज व्यापी प्रभाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नए समाज एवं नये भारत के निर्माण के लिए हम सभी को एक-दूसरे के अधिकारों पर अतिक्रमण बंद कर कर्त्तव्य-पथ पर अपनी  भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प लेना होगा। इस वर्ष देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और देश के लिए संघर्ष और बलिदान को स्मरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ने मातृभूमि के प्रति प्रेम एवं देशभक्त बनने की प्रेरणा दी।

  अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन श्री विनोद कुमार ने  कहा कि संविधान दिवस मनाया जाना अच्छी परंपरा है। भारतीय संविधान विश्व का सबसे अनूठा संविधान है। अपर मुख्य सचिव श्री जे. एन. कंसोटिया ने उद्देशिका को भारतीय संविधान की आत्मा कहा और समाज के विकास के लिए भाई-चारे की बात कही।

राज्य मंत्री श्री परमार ने उपस्थित जन-समूह को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई। इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री परमार को संविधान की प्रति, जाति व्यवस्था के विनाश और बाबासाहब के दर्शन से संबंधित पुस्तकें भेंट की गयी।

कार्यक्रम का संचालन मंत्रालयीन कर्मचारी श्री घनश्याम भकोरिया ने किया। कार्यक्रम में मंत्रालय के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।