जयपुर। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) को तैयार करने के लिए विशेष रूप से आयोजित होने वाली ग्राम सभाओं मे गली-सड़क, पेयजल के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में नवाचार, जैविक खेती पशुपालन विकास जैसी योजनाएं भी अनुमोदित की जा सकती हैं। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा इस विषय पर पंचायती राज प्रतिनिधियों के क्षमता संवर्धन किया जा रहा है।  इस क्रम में पंचायती राज मंत्रालय, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी पीआर), हैदराबाद और इन्दिरा गांधी पंचायती राज संस्थान  (आईजीपीआरएस) जयपुर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ।
जन योजना अभियान के माध्यम से पेसा राज्यों के 'आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन' के लिए इस प्रशिक्षण कार्यशाला में जीपीडीपी योजना की प्रक्रिया, क्रियान्वयन और निगरानी पर राज्य के अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, मंडल पंचायतों के सदस्यों के साथ जीवंत चर्चा की गई। मंत्रालय के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कार्यशाला के दूसरे दिन पेसा राज्यों के विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रधानों, सरपंचों ने प्रतिभागियों के साथ बागवानी, शून्य-बजट खेती, जैविक खेती, मत्स्य पालन, डेयरी उत्पादन में वृद्धि और वर्मी कम्पोस्ट के प्रभावी उपयोग आदि नवाचारों पर विस्तार से चर्चा की। जमीनी स्तर के प्रतिनिधियों द्वारा आय सृजन और अपशिष्ट रहित खेती करने के लिए रचनात्मक व्यावसायिक विचार प्रस्तुत किए। अधिकारियों ने बताया कि ग्राम सभाओं मे इन विषयों पर विचार-विमर्श कर ?से नवाचारों के प्रचार-प्रसार को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार ग्राम पंचायत विकास योजनाओं में शामिल किया जा सकता है। कार्यशाला में विशेष रूप से सक्षम कर्मियों की भागीदारी को बढ़ावा देने और विशेष क्षमता वाले लोगों के विकास और सशक्तिकरण से जुड़ी गतिविधियों पर चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण और ग्राम सभाओं को अधिक से अधिक जीवंत बनाने और उनमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी बल दिया गया।