सनातन धर्म के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री हरि की पूजा अर्चना और व्रत आदि किया जाता है. हर माह का आखिरी दिन पूर्णिमा होती है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 19 नंवबर, 2021शुक्रवार के दिन पड़ रही है.

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी (Tripurari Purnima) भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. इसी खुशी में देवताओं ने दीप प्रज्वलित करके खुशियां मनाई थी. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है । हिंदू धर्म में पूर्णिमा का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 13 हो जाती है. कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है. इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है. .

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-: कार्तिक पूर्णिमा समय (Kartik Purnima 2021 Timings)

• कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार, नवम्बर 19, 2021 को

• पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 18, 2021 को 12:00 पी एम बजे

-: स्नान की शुभ मुहूर्त

• कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने का शुभ मुहूर्त 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को ब्रम्ह मुहूर्त से दोपहर 02:29 तक है।

-: किया कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

• कार्तिक माह को हिंदू धर्म का पवित्र माह कहा गया है. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान की शुरुआत देवउठनी एकादशी से हो जाती है. कार्तिक पूर्णिमा से मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. पुराणों में वर्णन है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. उसके वध की खुशी में देवताओं ने इसी दिन दीपावली मनाई थी. जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान की परंपरा भी है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है. शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए भी कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद अच्छा माना जाता है.

- : किया कार्तिक पूर्णिमा की कहानी

• त्रिपुरासुर ने देवताओं को पराजित कर उनके राज्य छीन लिए थे. भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर का वध किया था. इसीलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. उसकी मृत्यु के बाद देवताओं में उल्लास था. इसलिए देव दिवाली कहा गया. देवताओं ने स्वर्ग में दीये जलाए थे.

दान का महत्वः मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हैं करना चाहिए. इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

-: कार्तिक पूर्णिमा के दिन यह जरूर करें

• मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन दान का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन अन्न और वस्त्र आदि का दान करना से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन चावल का दान करने से चंद्रमा मजबूत होता है.

• कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी देव स्थान पवित्र नदी या सरोवर में जाकर दीपदान अवश्य करें. इस दिन देव दीपावली होताी है और इस दिन दीपदान करने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.

• कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी में दीप प्रजव्वलित करके विधिवत पूजन अवश्य करना चाहिए. साथ ही शालीग्राम का पूजन भी जरूर करें. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है.

• कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य गेट पर आम के पत्तों और फूलों की तोरण लगाएं. रंगोली बनाएं और सत्यनारायण की कथा करें. इससे भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में धन- धान्य बना रहता है।

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