भोपाल | के जंबूरी मैदान में आयोजित महासम्मेलन में प्रदेशभर से आने वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के इंतजाम और आवभगत पर राज्य सरकार 12 करोड़ 92 लाख 85 हजार रुपये खर्च करेगी। यह भी प्रस्तावित राशि का 80 प्रतिशत है। इस राशि से सभी कलेक्टर जनजातीय वर्ग के लोगों को भोपाल तक पहुंचाने के लिए परिवहन, उनके चाय-नाश्ते का इंतजाम करने के अलावा मास्क और सेनिटाइजर की भी व्यवस्था करेंगे। जनजातीय कार्य विकास विभाग ने यह राशि जिलों को आवंटित कर दी है।
15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जन्मतिथि है। उन्होंने लगान (कर) माफ कराने के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया था। इस दिन को राज्य सरकार जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रही है। इस मौके पर प्रदेश के जनजाति बहुल क्षेत्रों में आयोजन होंगे। मुख्य आयोजन भोपाल के जंबूरी मैदान में होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल हो रहे हैं।
राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम में देशभर के जनजातीय बड़े नेताओं और प्रदेश के जनजातीय समाज को भी आमंत्रित किया है। जनजातीय समाज के लोगों को भोपाल तक लाने और ले-जाने की व्यवस्था संबंधित जिलों के कलेक्टरों को सौंपी गई है। इसके लिए उन्हें राशि आवंटित की गई है।
यह राशि परिवहन व्यवस्था, सैनिटाइजर, मास्क, भोजन, चाय-नाश्ता और रात्रि विश्राम की व्यवस्थाओं पर खर्च होगी। इस राशि का इंतजाम अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां तथा अन्य पिछड़े वर्गों की कल्याण, अनुसूचित जनजातियों का कल्याण, अनुसूचित जनजाति उपयोजना, आदिवासी संस्कृति का परिरक्षण विकास एवं देवठान और सेमीनार - कार्यशाला सम्मेलन जैसे शीर्षों से किया गया है।
भोपाल को एक करोड़ रुपये
इसमें से सबसे ज्यादा राशि एक करोड़ 16 हजार रुपये भोपाल जिले को आवंटित की गई है। क्योंकि मुख्य कार्यक्रम यहीं है। इसके बाद बड़वानी जिले को 77 लाख 80 हजार, खरगोन को 72 लाख 40 हजार, सीहोर को 71 लाख 95 हजार, धार को 62 लाख 50 हजार, होशंगाबाद को 61 लाख 68 हजार सहित अन्य जिलों को राशि आवंटित गई है।
आदिवासियों के हित पर खर्च होता तो बेहतर होता- इधर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आरोप लगाया कि जिस राशि को आदिवासी वोट बैंक के लिए खर्च किया जा रहा है, उससे बेहतर होता तो कि इसे आदिवासी कल्याण के लिए खर्च किया जाता ताकि आदिवासी अपने खर्च पर यहां आ जाता।
Please do not enter any spam link in the comment box.