चंडीगढ़। पहली नवंबर, 1966 को ही चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश बना था।  इस दिन पंजाब राज्य से अलग होकर दो नए राज्य हरियाणा और हिमाचल प्रदेश बने और चंडीगढ़ को संयुक्त रूप से पंजाब और हरियाणा की राजधानी बनाया गया। आज चंडीगढ़ 55 वर्ष का हो गया है। इसके माडर्न आर्किटेक्चरप्लानिंग और ग्रीनरी ने इसे खास बनाया हुआ है। देश के दूसरे शहर अब भी यहां से सीखते हैं। हालांकिसमय गुजरने के साथ चंडीगढ़ के सामने बहुत सी चुनौतियां भी खड़ी हो गई हैं। इनका समाधान खोजना अब बेहद जरूरी हो गया है।

1. ट्रैफिक की समस्या

बढ़ता ट्रैफिक शहर की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। जहां जितना मार्जन थाउसे हटाने के बाद भी सड़कें चौड़ी हो चुकी हैं। फिर भी सब जगह जाम लगने लगे हैं। ट्रैफिक की वजह से राउंडअबाउट हटाए जा रहे हैं। हर महीने 5 हजार नई कारें सड़कों पर उतर रही हैं। इससे स्थिति गंभीर होती जा रही है।

जमीन नहींहाउसिंग की समस्या

सीमित जमीन थी अब नए एडीशन के लिए जमीन तक नहीं बची। हाउसिंग बड़ी समस्या बन गई है। सीमित जमीन होने से हाउसिंग स्कीम इतनी महंगी हो गई हैं कि खरीददार ही नहीं मिल रहे।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट कमजोर

पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर सीटीयू की बसें हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट कई वर्षों की मथ्थापच्ची और करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी सिरे नहीं चढ़ा। अभी तक यही तय नहीं हो पा रहा कि मेट्रो चलेगी या मोनो रेल। ट्राइसिटी की कनेक्टिविटी से आवाजाही ज्यादा बढ़ गई है।

ड्रेनेज सिस्टमसीवरेज लाइन जर्जर

अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम जर्जर हो चुका है। सीवरेज सिस्टम पुराना हो चुका है। पानी की पाइपलाइन भी अपग्रेड करने की स्थिति में है। 55 साल पहले 5 लाख की आबादी के लिए बनाया यह सिस्टम अब 15 लाख से अधिक का भार सह रहा है।

पार्किंग के लिए नहीं जगह

चंडीगढ़ में वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि अब पार्किंग के लिए जगह नहीं मिल रही। रोड बर्म और साइकिल ट्रैक पर वाहन पार्क हो रहे हैं। मार्केट में पार्किंग फुल होने पर वाहनों को स्लिप रोड पर ही खड़ा किया जा रहा है। अब तो नए वाहन की रजिस्ट्रेशन पर यह अंडरटेकिंग ली जाती है कि उनके यहां वाहन पार्क करने की पर्याप्त जगह है।