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भोपाल । शहर का मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 अब भी सरकारी ताले में है, जबकि कोरोना की दूसरी लहर के बाद शहर लगभग पूरा अनलॉक हो चुका है। सभी गतिविधियां संचालित हो रही हैं, लेकिन मास्टर प्लान का ताला नहीं खुल पाया। इसका असर शहर के विकास पर हो रहा है। कई विकास कार्य रूके हुए हैं तो कई मनमर्जी से हो रहे हैं। अनियोजित विकास से शहर का स्वरूप लगातार खराब हो रहा है। शहर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट, स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट चल रहे हैं और ऐसे में एक सुव्यवस्थित प्लान की जरूरत है। पर्यावरण और जलस्त्रोतों पर भी इसका असर हो रहा है। तेजी से वनक्षेत्र में निर्माण शुरू किए जा रहे हैं। नया मास्टर प्लान लागू होने के बाद ही इनके संरक्षण की उम्मीद बनेगी।गौरतलब है कि ड्राफ्ट 2031 मार्च 2020 में ही जारी हो गया था। अक्टूबर 2020 में इस पर सुझाव आपत्ति लेकर सुनवाई की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। आपत्तियों के आधार पर टीएंडसीपी ने संशोधन प्रस्तावित कर शासन को भेज दिया है। अब ये शासन के पास ही अटका हुआ है। शासन के पास इस ड्राफ्ट को सात माह का लंबा समय हो गया। इसे मार्च में जारी करने की बात कही जा रही थी, लेकिन कोविड संक्रमण बढऩे का कारण बताकर इसे रोके रखा। अब कोविड संक्रमण अपने निम्रतम स्तर पर है, ऐसे में इसे जारी किया जा सकता है।
प्लान आए तो इनके लिए रास्ता बने
शहर के आवासीय क्षेत्रों में अवैधतौर पर विकसित हो चुके हॉस्पिटल, नर्सिंगहोम पर निर्णय जरूरी है। इसके लिए शासन की ओर से कुछ नियम बनाए और शुल्क के साथ इन्हें नियमित करने का रास्ता निकाला, लेकिन मास्टर प्लान का इंतजार किया जा रहा, इसके बाद ही नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी। शहर के तालाब- जलस्त्रोतों के किनारे व कैचमेंट में अवैध निर्माणों को हटाना है, लेकिन जिम्मेदार एजेंसियां नगर निगम, टीएंडसीपी ही यहां अनुमतियां दे रही है। निर्माण करवा रही है। प्लान में यहां वेटलैंड रूल्स 2017 का प्रावधान है, ऐसे में इनके संरक्षण का नया रास्ता निकलेगा। नगर निगम की बजाय, वेटलैंड अथॉरिटी के पास शक्तियां रहेगी। शहर के बाद विकसित 300 से अधिक कॉलोनियों को भी शहर से कनेक्टिविटी का रास्ता निकलेगा। अभी प्लानिंग एरिया से बाहर होने से यहां किसी तरह का प्रस्ताव तय नहीं हो पा रहा है। नए प्लान में इनके लिए प्रावधान किया हुआ है। शहरी गरीबों के लिए नए आवास, नए औद्योगिक क्षेत्र, स्लॉटर हाउस, टिंबर मार्केट जैसे बड़े बाजार, लोहा बाजार व अन्य सुविधाओं के लिए प्लानिंग तय है, जो मास्टर प्लान लागू होने के बाद ही लागू की जा सकेगी। शहर किनारे वनक्षेत्र में तेजी से निर्माण हो रहे हैं। बड़ी सड़कें तैयार कराई जा रही, इनके किनारे की जमीनों पर कॉलोनियां विकसित करने की योजना है। नए प्लान में इसे संरक्षित किया जा रहा है। जितनी जल्दी प्लान लागू होगा, वनक्षेत्र को सुरक्षा का कवच मिलेगा।
प्रदेश की राजधानी के विकास की रूपरेखा बिना मास्टर प्लान ही तैयार हो रही है। 28 साल बाद भी मास्टर प्लान जमीन पर नहीं उतर पाया है। हालांकि माना जा रहा है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा संशोधानों पर अंतिम निर्णय लेने से राज्य सरकार दावे आपत्ति बुलाएगी। हालांकि इसको लेकर कोई समय सीमा तय नहीं है। माना जा रहा है कि नगर निगम चुनाव के बाद ही सुनवाई होगी। उधर, कांग्रेस के मुताबिक मास्टर प्लान के नाम पर सिर्फ सरकार लोगों को फूल बना रही है। बीजेपी चाहती ही नहीं है कि मास्टर प्लान लाया जाए।
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