दोषी डाॅक्टर की दो वेतनवृद्धियां संचयी प्रभाव से रोकी गयीं

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा दो अगस्त 2019 को एक समाचार पत्र की खबर पर संज्ञान लिया गया था।

 ‘‘सर्पदंश से दो की मौत, नहीं थे डाॅक्टर, हंगामा’’ शीर्षक खबर पर स्वसंज्ञान लेकर आयोग ने प्रकरण क्र. 5251/सिवनी/2019 पंजीबद्ध कर इसे जांच में लिया था।

आयोग ने जांच प्रारंभ करते हुये कलेक्टर और सीएमएचओ सिवनी को सर्पदंश से दोनों मृतकों के परिवारों को नियमानुसार मुआवजा राशि दिलाने तथा दोषी शासकीय सेवकों पर क्या कार्यवाही की गई है ? इस बारे में रिपोर्ट तलब की थी। 

आयोग द्वारा मामले की सतत् सुनवाई की गई। इस पर कलेक्टर सिवनी ने आयोग को अवगत कराया है कि सर्पदंश से मृतक दो व्यक्तियों उषाबाई और रामकुमार के निकटतम उत्तराधिकारियों को राज्य शासन के नियमानुसार चार-चार लाख रूपये मुआवजा राशि दे दी गई है। घटना के संबंध में पहले दो चिकित्सकों डाॅ बीथी जैन तथा डाॅ जेपीएस परतेती की उपेक्षा प्रतीत होने पर दोनों को ही निलंबित कर दिया गया था। साथ ही दोनों के विरूद्ध विभागीय जांच भी शुरू की गई थी। जांच में डाॅ जेपीएस परतेती दोषमुक्त पाये गये। अतः उनके विरूद्ध विभागीय जांच समाप्त कर दी गई। शेष रहीं डाॅ बीथी जैन के विरूद्ध विभागीय जांच जारी रही। विभागीय जांच में वे दोषी पाई गयीं। इस पर कमिश्नर जबलपुर संभाग द्वारा डाॅ बीथी जैन को दंडित कर उनकी आगामी दो वेतनवृद्धियां संचयी प्रभाव से रोक दी गयीं हैं। मामले में अंतिम कार्यवाही हो जाने पर आयोग में यह प्रकरण अब समाप्त कर दिया गया है।

घटना के संबंध में प्रकाशित समाचार के अनुसार सिवनी जिले के ग्राम बैगा पिपरिया निवासी श्री रामकुमार पिता प्यारेलाल और गनेशगंज के सहजपुरी निवासी उषा पिता वासुदेेव को सर्पदंश के कारण सिविल अस्पताल, लखनादौन में रात करीब डेढ बजे लाया गया था। ड्यूटी डाॅ बीथी जैन की थी। परिजनों ने हंगामा किया और डाॅक्टर को बुलाने गए, लेकिन डाॅ जैन ने मना कर दिया। इस बीच परिजन डाॅ. परतेती के यहां भी गए, लेकिन वे नशे में थे। परिजनों ने फिर जमकर हंगामा किया। अधिकारियों की सूचना पर जबतक डाॅक्टर अस्पताल पहुंचे, तबतक दोनों ही सर्पदंश पीडितों की मौत हो चुकी थी।