बिहार | जब से बिहार में शराब बंदी लागू हुई है, तब से प्रदेश में शराब छोड़ अन्य मादक पदार्थों की तस्करी भी तेजी से बढ़ी है। नशे के लती नए विकल्प तलाशने में जुटे हैं। पहले नशे की टेबलेट, फिर कफ सीरप, इंजेक्शन और अब अन्य सामग्री में सुलेशन जैसी चीजों का प्रयोग नशे के लिए किया जा रहा है। सीमावर्ती क्षेत्र में युवा वर्ग इसकी चपेट में है।
धड़ल्ले से बिक रहा सनफिक्स!
सनफिक्स इस समय जिले में धड़ल्ले से बिक रहा है। नशे के आदी युवाओं के अलावा मासूम भी तेजी से इसके गिरफ्त में आ चुके हैं। मेडिकल दुकानों में बिना डाक्टर के पर्ची के नशे की दवाइयां व इंजेक्शन नहीं मिलने के बाद नशेड़ी युवा व मासूमों ने सनफिक्स से अपनी तलब मिटानी शुरू कर दी है। सनफिक्स की जद में बड़ी संख्या छोटी उम्र के बच्चे आ चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन ने अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है प्रशासन बेखबर है।
ज्ञातव्य है कि चमडा, रबर, टूटे खिलौने, इलेक्ट्रानिक्स उपकरण, रेक्सिन, लकड़ी तथा कांच इत्यादि चिपकाने के लिए सनफिक्स नामक उत्पाद मार्केट में उपलब्ध है। बताया जाता है कि इसके 10 मिलीग्राम के एक ट्यूब की कीमत 15 से 20 रुपये है। कहने को तो इसका उपयोग चिपकाने के लिए होता लेकिन हकीकत यह है कि आज की तारीख में यह नशा का बड़ा जोन बना हुआ है।
कैसे करते हैं नशा?
ट्यूब से तरल को पालीथिन में डाल दिया जाता है। फिर उस पालीथिन में नाक घुसाकर सूंघा जाता है। इससे सूंघने वाले को जबरदस्त नशा चढ़ता है। यूं शुरुआत में इस प्रकार के नशे का लत एक-आध लोगों को ही थी लेकिन आज की तारीख में इसकी जद में बडी संख्या में समाज के बच्चे आ चुके हैं। धीरे धीरे ऐसे नशेड़ियों की संख्या बढ़ती ही जा रही।
इसकी चपेट में 8 वर्ष के बच्चे से लेकर 25 वर्ष तक के युवा आ चुके हैं। लेकिन इसकी लत नाबालिग बच्चों को ज्यादा है। पहले सनफिक्स चंद दुकानों में ही बिकता था। अब तो इसकी भारी डिमांड को देखते हुए बाजार के तमाम मनिहारा ,किराना ,इलेक्ट्रॉनिक्स और जनरल स्टोर की दुकानों में सनफिक्स धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।
मामले का दुखद पहलू तो यह है कि दुकानदार भी चंद सिक्कों के लिए छोटे छोटे बच्चों के हाथ सनफिक्स बेचने से गुरेज नहीं करते। जिससे दुकानदारों को भी मोटी कमाई हो रही है। स्थिति इस कदर खतरनाक हो चली है कि समाज में अवस्थित विद्यालय, विभिन्न कार्यालय के सुनसान पड़े परिसरों और बाग-बगीचे आदि पर बच्चे सनफिक्स सूंघने के लिए कब्जा जमाए रहते हैं। इन परिसरों में भारी मात्रा में सनफिक्स के रैपर , खाली ट्यूब और ढक्कन बिखरे पड़े मिल जाते हैं।
गौरतलब है कि तंबाकू उत्पाद की ही तरह सनफिक्स के पैकिंग रैपर पर चेतावनी लिखी है। चेतावनी में स्पष्ट लिखा होता है। यह खतरनाक है इसे बच्चे से दूर रखें। इतनी स्पष्ट चेतावनी और दुरूपयोग से बचने की सलाह के बावजूद दुकानदारों द्वारा धड़ल्ले से नासमझ बच्चों के हाथ बेच रहे हैं। जो बच्चे इस नशे के आदि हो चुके हैं। जानकार बताते हैं कि लगातार सूंघने के कारण इसमें मौजूद खतरनाक रासायनिक पदार्थ फेफड़े पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। सूत्र बताते है कि पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से डुप्लीकेट सनफिक्स का अवैध कारोबार खुली सीमा से जारी है जिसे बल्क में सीमावर्ती शहर से राज्यभर में खपाया जा रहा है। यूं सनफिक्स बेचने या खरीदने पर तो कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यहां सवाल इसके दुरूपयोग और इस बाबत प्रशासनिक पहल की महती भूमिका की आवश्यकता है।
चिकित्सक डा .अजय कुमार सिंह की माने तो प्रतिबंधित दवा व सनफिक्स जैसी चीजो का नशे के रूप में सेवन करना मानव जीवन के लिए आत्मघाती साबित होता है। इसके सेवन से मानव के शरीर का स्नायुतंत्र भी बुरी तरह प्रभावित होता है।
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन संरक्षक बिनोद सरावगी का कहना है कि अधिकतम स्टाक सीमा को प्रशासन निर्धारित करें नारकोटिक एवं केंद्रीय उत्पाद विभाग सनफिक्स और इससे मिलते-जुलते उत्पादों को अपने अधीन ले तथा सभी दुकानदारों के लिए इसकी खरीद एवं बिक्री का पूर्ण विवरण रखना अनिवार्य कर दिया जाए।
इसके पैकेट पर सिगरेट और गुटका जैसी संवैधानिक चेतावनी भी प्रिंट हो बिहार में शराबबंदी के कारण इस तरह के नशे के विकल्पों पर रोक लगाया जाना आवश्यक है।
सामाजिक कार्यकर्ता दक्षिणेश्वर प्रसाद राय कहते हैं राबबंदी के बाद इस तरह के वैकल्पिक उत्पाद का नशा के रूप में सेवन चिंतनीय है। खास बात यह है कि इसके चपेट में बच्चों की तादाद काफी है जो उनके भविष्य के साथ समाज के लिए भयावह स्थिति के और इशारा है। भारत नेपाल सीमा पर एसएसबी की तैनाती के बावजूद कारोबारी मजे से मासूम को इस दलदल में धकेलने में कामयाब है। सक्षम अधिकारी को इस मुद्दे पर सख्ती बरतने की जरूरत है।
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