नई दिल्ली । भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने संभावना जताई है कि दक्षिण पश्चिम मानसून 26 अक्टूबर तक पूरी तरह विदा हो जाएगा और 26 अक्टूबर के आसपास उत्तर-पूर्वी मानसून की बारिश का दौर शुरू हो सकता है। इसके चलते दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत यानि केरल, माहे, तमिलनाडु, पुडुचेरी और करईकल में भारी बारिश होने की संभावना है।
आईएमडी के अनुसार, इस सप्ताह राजधानी दिल्ली समेत भारत के कई राज्यों में अच्छी बारिश के आसार हैं।
आईएमडी की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद और हिमाचल प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश-बर्फबारी हो सकती है। विभाग ने जनकारी दी है कि 23 और 24 अक्टूबर को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तरी राजस्थान और उत्तर पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम छिटपुट बारिश हो सकती है। जबकि, इस दौरान दिल्ली में हल्की बारिश के आसार हैं।
जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में 23 अक्टूबर को गरज के साथ तेज हवाएं और मूसलाधार बारिश की संभावना है। साथ ही इस सप्ताह उत्तर-पूर्वी राज्यों और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में ज्यादातर दिन बारिश हो सकती है। वहीं, देश के अन्य हिस्सों में यह सप्ताह शुष्क गुजरेगा। भारत में एक अक्टूबर से 21 अक्टूबर के बीच सामान्य से 41 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई और अकेले उत्तराखंड को सामान्य से पांच गुना ज्यादा बारिश का सामना करना पड़ा।
आईएमडी ने कहा कि इस महीने में देश में सामान्य रूप से 60.2 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार 84.8 मिलीमीटर बारिश हुई। देश के 694 जिलों में से 45 प्रतिशत (16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 311 जिले) में ‘बहुत ज्यादा’ बारिश हुई। उत्तराखंड में एक अक्टूबर से 20 अक्टूबर के बीच सामान्य (35.3 मिलीमीटर) के मुकाबले 192.6 मिलीमीटर बारिश हुई जिससे 54 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। केरल में इस दौरान 445.1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जिससे 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। सिक्किम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश हुई जिससे जानमाल का काफी नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र के गर्म होने, बेरोकटोक विकास और मानसून की वापसी में हुई देरी इस अतिवृष्टि का कारण हो सकती है। आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर बालाजी नरसिम्हन ने कहा कि निश्चित तौर पर यह असामान्य अक्टूबर था। उन्होंने इसके लिए अवसंरचनात्मक चुनौतियों और बेरोकटोक हो रहे विकास कार्यों को जिम्मेदार ठहराया। नरसिम्हन ने 2015 में चेन्नई में आई बाढ़ का भी अध्ययन किया था। उन्होंने कहा मौसम में इस तरह के बदलाव पहले भी होते रहे हैं, लेकिन अब घनी आबादी वाले क्षेत्र विकसित हो रहे हैं जिससे इसका प्रभाव बढ़ गया है।
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