मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा पुलिस की मारपीट से प्रताडित एक व्यक्ति को पच्चीस हजार रूपये दो माह में अदा करने की अनुशंसा राज्य शासन को की गई है। मामला विदिशा जिले का है। आयोग के प्रकरण क्र. 2528/विदिशा/ 2020 के अनुसार भोपाल के एक समाचार पत्र में ‘‘पुलिस की बर्बरतापूर्वक पिटाई’’ शीर्षक से प्रकाशित खबर पर आयोेग द्वारा स्वसंज्ञान लिया गया था। प्रकरण विदिशा जिले के सिरोंज थाने में पीड़ित बताये गये संतोष बंशकार की पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट किये जाने से संबंधित था। आयोग द्वारा 8 जून 2020 को इस मामले पर स्वसंज्ञान लेकर प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। इस मामले में आयोग द्वारा निरंतर सुनवाई की गई और अंततः अनुशंसा की गई कि राज्य शासन पीड़ित संतोष बंशकार को उसके मानव अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में पच्चीस हजार रूपये की क्षतिपूर्ति राशि दो माह में पीड़ित को अदा करे। राज्य शासन चाहे, तो यह राशि दोषी पुलिसकर्मियों से वसूल कर सकता है। आयोग ने यह भी अनुशंसा की है कि राज्य शासन शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डाॅक्टर्स एम.एल.सी. रिपोर्ट दिये जाने के समय उसमें सभी जरूरी जानकारियां स्पष्ट रूप से अंकित करें, इस हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दो माह में जारी करें, जिससे इस प्रकरण में मेडिकल आॅफीसर द्वारा एम.एल.सी. की रिपोर्ट दिए जाने के समय की गई तात्विक त्रुटियों के समान या अन्य ऐसी ही तात्विक त्रुटियां ना हों और ऐसी रिपोर्टों का न्यायालयों में अन्तिम निर्णय देने में समुचित उपयोग हो सके।

उल्लेखनीय है कि विदिशा जिले के सिरोंज निवासी संतोष बंशकार से पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्वक मारपीट की गई थी। युवक मजदूरी करता था। समाज की एक नाबालिग कुछ समय पहले घर से गायब हो गई थी। लड़की के परिजनों ने मामले की शिकायत सिरोंज थाने में करते हुए संतोष पर संदेह जताया था। मामले में पुलिस ने अपहरण का प्रकरण कायम किया और पुलिस के जवानों ने संतोष बंशकार को 4 जून 2020 को सिरोंज थाने में बुलाया था। इस दिन मजदूरी से लौटकर आने पर युवक खुद थाने पहुंच गया। पुलिस ने उसे पाइप और बेल्ट से इतना अधिक पीटा कि उसके शरीर का हिस्सा नीला पड़ गया और हाथ की दो ऊंगली भी टूट गई थीं। युवक ने बताया कि पुलिस के बुलाने पर वह खुद ही थाने गया था। वे लोग उससे वह सवाल पूछ रहे थे, जिनका जवाब उसे पता ही नहीं था। इसके बाद मारपीट शुरू कर दी और रात भर थाने में रखा। संतोष की मां गीताबाई ने बताया कि बेटा जब रात भर वापस नहीं आया, तो वे लोग सिरोंज थाने पहुंचे। वहां पर उन्हें उससे मिलने भी नहीं दिया गया। 500 रूपये दिये, जब जाकर उसे छोड़ा। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, विदिशा से प्रतिवेदन मांगा था।