
नई दिल्ली । भारतीय सेना को पूर्व लद्दाख में चीन के साथ संकट से निपटने में कोरोना विरोधी उपाय भी खूब मददगार साबित हुए हैं। थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बुधवार को कहा कि भारतीय सेना की ओर से पिछले साल की शुरुआती चरण में अपने सैनिकों के कोविड-19 से बचाने के लिए किए गए उपायों से पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रमण से निपटने में इसका फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि ये वो दौर था जब उच्च स्तर पर तैयारियां की गई थी। बता दें कि देश में पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद भारतीय सेना ने अपने सैनिकों के बीच कोविड फैलने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए थे। लॉकडाउन के दौरान जवानों का बाहरी दुनिया के साथ उनकी बातचीत को काफी हद तक कम कर दिया गया था। इसके तुरंत बाद पूर्वी लद्दाख में उत्तीर सीमाओं पर चीन के साथ मतभेद शुरू हो गई थी। थल सेना प्रमुख ने दिल्ली में '21वीं सदी के युद्ध को जीतना' वाले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय सेना (कोविड विरोधी उपायों के कारण) सभी आकस्मिक चीजों से निपटने के लिए तैयार थी। जब पूर्वी लद्दाख में हमारी सीमाओं पर संकट विकसित हुआ तो बल की सुरक्षा को लेकर लिए गए हमारे फैसलों से हमें फायदा हुआ, क्योंकि हम परिचालन तैयारियों की उच्च स्थिति में थे। उन्होंने कहा कि जैसे ही हमारी उत्तरी सीमाओं पर तनाव जैसी स्थिति बनी, जवान मौके पर पहुंच गए। उन्हें अपने नेताओं पर पूरा भरोसा था। उपलब्ध संसाधनों के जरिए वे अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए सभी चुनौतियों और कठिनाइयों के साथ करने को तैयार थे। जनरल नरवणे ने आगे कहा कि यह सब संभव था क्योंकि हमारे पास पहले से संभावित आकस्मिकताओं और संभावित विकल्पों के लिए एक एक वॉर गेम था। जनरल नरवणे ने कहा कि बल संरक्षण का मतलब यह नहीं है कि हम केवल अपना ख्याल रख रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना खुद को एक नागरिक सेना के रूप में गौरवान्वित करती है, जो हम लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी ओर से, हमने इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान दिया है।
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