मध्यप्रदेश में सरकारी पदों पर प्रमोशन पर आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई है। शीर्ष अदालत इस मामले में अपना फैसला सुना सकती है। दूसरी तरफ शिवराज सरकार ने सोमवार को कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मंत्री समूह का गठन कर दिया है। इसमें गृहमंत्री डॉनरोत्तम मिश्राजल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावटवन मंत्री विजय शाहसहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया और सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार शामिल हैं। मंत्री समूह का समन्वयक अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन को बनाया गया है।

बता दें कि हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम में आरक्षणबैकलॉग के खाली पदों को कैरिफारवर्ड करने और रोस्टर संबंधी प्रावधान को संविधान के विरुद्ध मानते हुए इन पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थीजिस पर फैसला होना बाकी है।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखने वाले सीनियर एडवोकेट मनोज गोरकेला ने बताया कि 14 सितंबर को होने वाली सुनवाई में अंतिम निर्णय आने की उम्मीद है। मामले को लेकर अन्य राज्यों के पक्ष भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हो चुके हैं। बता दें कि प्रदेश में पदोन्नति नियम 2002 के तहत अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति होती थी पर 2016 में उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी।

दरअसलअनारक्षित वर्ग की ओर से अनुसूचित जाति-जनजाति को दिए जा रहे आरक्षण की वजह से उनके अधिकार प्रभावित होने को लेकर हाईकोर्ट में 2011 में 24 याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें सरकार द्वारा बनाए मप्र पब्लिक सर्विसेज (प्रमोशनरूल्स 2002 में एससी-एसटी को दिए गए आरक्षण को कठघरे में रखा गया था।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को राज्य में एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देने के नियम को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय यादव की बेंच ने कहा है कि यह नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16  335 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को दिए गए दिशा-निर्देश के खिलाफ है।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दीलेकिन कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए। ऐसे में अब पदोन्नति तभी हो सकती हैजब कोर्ट इसकी अनुमति दे। सरकार ने इसको लेकर कोर्ट से अनुरोध भी किया था पर अनुमति नहीं मिली। इससे सबसे ज्यादा नुकसान उन कर्मचारियों  अधिकारियों को हुआजो पिछले 5 साल में रिटायर हो गए। जिसकी संख्या करीब 1 लाख बताई जाती है।