भोपाल । खंडवा लोकसभा सीट पर उपचुनाव के ऐलान की तैयारी अक्टूबर में होने की संभावना है। भाजपा अपने कब्जे वाली इस सीट को हाथ से गंवाना नहीं चाहती। इसलिए सवर्ण आरक्षित सीट पर आदिवासी वोट साधने की तैयारी की जा रही है। खास वजह यह भी है कि, आठ में से चार विस सीटे आदिवासी बाहुल्य है। इन पर कांग्रेस का अच्छा खासा वर्चस्व है। इसलिए, भाजपा बिरसामुंडा जयंती तक महाअभियान चलाएंगी।
2 मार्च 2021 को खंडवा से भाजपा सांसद रहे नंदकुमारसिंह चौहान का निधन हुआ। इसके बाद यह सीट रिक्त हुई। अक्टूबर माह में उपचुनाव के ऐलान की तैयारी है। तैयारी में जुटी भाजपा ने जातिगत आधार पर कैबिनेट मंत्री और संगठन पदाधिकारियों को विधानसभा वार प्रभारी बनाया है। 8 विधानसभा सीटों पर 7 कैबिनेट मंत्रियों को उतार दिया है। जिनमें भीकनगांव, बड़वाह विस सीट पर वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा को कमान दी। इसी तरह बागली सीट पर मंत्री ऊषा ठाकुर, मांधाता में मंत्री विजयशाह, पंधाना में मंत्री मोहन यादव, खंडवा सीट पर मंत्री कमल पटेल, बुरहानपुर सीट पर मंत्री इंदरसिंह परमार, नेपानगर सीट पर मंत्री मोहन यादव को प्रभारी बनाया है। उनके साथ संगठन स्तर से कई सांसद और राष्ट्रीय पदाधिकारी रहेंगे।
कांग्रेस के कब्जे वाली 3 सीटों पर आदिवासी, गुर्जर और राजपूत विधायक
खंडवा लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में चार बागली, पंधाना, नेपानगर व भीकनगांव सीट आदिवासी बाहुल्य है। तीन सीटें बीजेपी के खाते में है तो भीकनगांव सीट पर कांग्रेस का विधायक है। अन्य जातियों की बात करें तो बुरहानपुर, बड़वाह और मांधाता सीट सवर्ण आरक्षित है। बुरहानपुर से कांग्रेस समर्थित विधायक सुरेंद्रसिंह ठाकुर राजपूत है। मांधाता में गुर्जर समाज के नारायण पटेल को जोड़-तोड़कर बीजेपी ने कांग्रेस से सीट हथियाई है। बड़वाह सीट पर कांग्रेस समर्थित सचिन बिरला (गुर्जर) विधायक है।
पंधाना विधायक को इसीलिए मिली जिम्मेदारी
आदिवासी सीट पंधाना से विधायक राम दांगोरे को हाल ही में बीजेपी संगठन ने युवा मोर्चा का प्रदेश महामंत्री और पार्टी का प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया है। वे लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी से एकमात्र उभरे हुए और युवा आदिवासी नेता है।
इधर, सांसद संगठन ने हर्षवर्धनसिंह को बताया दावेदार
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी में उम्मीदवार को लेकर जारी अटकलें खत्म हो चुकी है। दिवंगत नंदकुमासिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धनसिंह को टिकट मिलने की पूरी संभावना है। वजह, दिल्ली में हुई एक बैठक में सांसदों ने अपना मत दिया कि बचे कार्यकाल के लिए होने वाले उपचुनाव में बेटे को ही उम्मीदवार बनाया जाए। उनका मानना था कि आज नंदकुमार है, कल हमारे साथ ऐसा होगा तो क्या पार्टी अन्य चेहरा लाएगी।
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