नई दिल्ली । कोरोना संक्रमण जैसी जानलेवा ‘केनाइन डिस्टेंपर एंड परवो वायरस’ से कुत्ता-बिल्ली, शेर और तेंदुए को बचाने के लिए उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को टीके के समुचित प्रबंध पर विचार करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने इन पशुओं, खासकर आवारा कुत्तों (स्ट्रीट डॉग्स) को इस वायरस से बचाने के लिए सघन टीकाकरण और सभी पशु चित्सालयों में इलाज की व्यवस्था करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिका में जो मांग की गई है, उस पर सरकार और नगर निगमों को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। सरकार की ओर से अधिवक्ता सत्यकाम ने याचिका में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जरिए सरकार को पक्षकार बनाने का विरोध किया। विरोध के बाद उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री को पक्षकार की सूची से हटाने का आदेश दिया। न्यायालय ने सभी संबंधित विभागों को इस जनहित याचिका को बतौर प्रतिवेदन लेने और टीका की उपलब्धता सहित अन्य मांगों पर अपनी नीतियों, कानून के दायरे में जल्द से जल्द निर्णय लेने का आदेश दिया। इसके साथ ही पीठ ने राहुल मोहोद की ओर से दाखिल जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। पेशे से वकील और पशु हितों की रक्षा के लिए काम कर रहे राहुल ने न्यायालय को बताया कि राजधानी के पशु चिकित्सालयों में केनाइन डिस्टेंपर एंड परवो वायरस के लिए न तो इलाज के साधन है और न ही इस बीमारी से बचाने के लिए टीके (डिस्टेंपर कंबाइंड 9 इन 1) का प्रबंध है।
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