रांची । जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसाी) की बैठक में आदिवासियों की जमीन पर अवैध तरीके से हुए कब्जे समेत जनजातीय हितों से जुड़े अन्य मसलों पर गंभीरता से मंथन किया गया। आदिवासी जमीन पर कब्जे की पड़ताल के लिए एक उपसमिति का भी गठन किया गया। विधायक स्टीफन मरांडी, चमरा लिंडा, बंधु तिर्की और दीपक बिरुआ की यह समिति आदिवासी जमीन पर कब्जे की न सिर्फ जांच करेगी, बल्कि आदिवासी जमीन का हस्तांतरण कैसे रुके, इस पर भी अपनी रिपोर्ट टीएसी को सौंपेगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक से भाजपा विधायकों ने दूरी बनाई। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा तथा कोचे मुंडा टीएसी के सदस्य हैं। टीएसी की नई नियमावली के तहत गठित समिति की दूसरी अहम बैठक में आदिवासियों की जमीन पर गैर आदिवासियों द्वारा अवैध कब्जा किए जाने से जुड़े मामलों पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग समिति को जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बाबत सभी जिला उपायुक्तों से रिपोर्ट तलब की है।
बताया गया कि इससे संबंधित 373 मामले लंबित हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी लंबित मामलों के शीघ्र निष्पादन के निर्देश दिए। बताया गया कि इस साल जुलाई माह तक अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार के 176 मामले दर्ज हुए हैं। पिछले साल यह संख्या 361 थी। बैठक में झारखंड में जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना पर भी सहमति बनी। तय किया गया कि इसका नाम पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय रखा जाएगा। विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर विधेयक का प्रारूप लगभग तैयार है।
लिए गए अहम निर्णय
राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा जाएगा सरना धर्म कोड का प्रस्ताव।राष्ट्रपति से मिलकर जनगणना में सरना धर्म कोड की मांग करेंगे सभी टीएसी सदस्य शहीदों के आश्रितों को नौकरी।प्राइमरी स्तर से होगी जनजातीय भाषा की पढ़ाई।
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