जबलपुर . केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (HM Amit Shah) आज जबलपुर आ रहे हैं. वो यहां आदिवासी गोंडवाना साम्राज्य के अंतिम शासक राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होंगे.


शाह का मध्य प्रदेश दौरे पर आना कई मायनों में अहम माना जा रहा है. आदिवासी बहुल महाकौशल में दस्तक देकर बीजेपी की आदिवासियों को खुश करने की तो कोशिश होगी ही साथ ही 2018 में आदिवासी वोटबैंक के नुकसान की भरपाई 2023 में करने की तैयारी के तौर पर भी इसे देखा जा रहा है.


ये माना जा रहा है कि अमित शाह जबलपुर दौरे के दौरान आदिवासियों के लिए कई बड़ी सौगातों का ऐलान भी कर सकते हैं. उनका जबलपुर दौरा न केवल बीजेपी बल्कि संघ की आदिवासियों के बीच सक्रियता के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है. जब से जयस जैसे संगठनों ने आदिवासियों के बीच पैठ बढ़ाई है तब से संघ इसे बड़ी चुनौती मानकर चल रहा है. 2018 विधानसभा चुनाव में जयस के नेता हीरालाल अलावा ने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा तक का रास्ता तय कर लिया था. इस बार जयस पहले से और मजबूत माना जा रहा है. शायद यही वजह है कि बीजेपी अभी से इसका काउंटर करना चाहती है.

क्या है सियासी गणित ? 
सियासी गणित के हिसाब से देखें तो 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में 84 ऐसी सीटें हैं जो आदिवासी बहुल हैं. जबकि अकेले महाकौशल में 38 विधानसभा सीटें आदिवासी प्रभाव वाली हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में 84 में से केवल 34 सीटें बीजेपी के खाते में गयी थीं. जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में जाने वाली सीटों का आंकड़ा 59 था. ऐसे में ये अनुमान लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि बीजेपी के लिए 2023 से पहले अमित शाह का ये दौरा कितना अहम है.


सियासी स्थिरता का संदेश 
मध्य प्रदेश में पिछले काफी समय से नेतृत्व को लेकर कई तरह की अटकलें चलती रही हैं. बीजेपी के दिग्गज नेताओं की मुलाकातों को लेकर विपक्ष को गाहे-बगाहे सरकार को घेरने का मौका मिलता रहता है. यह माना जा रहा है कि अमित शाह अपने जबलपुर दौरे के दौरान मंच से इस बात के संकेत भी दे सकते हैं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी का नेतृत्व कितना मजबूत है. राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम पर भी जबलपुर दौरे के दौरान चर्चा संभव है. जिसमें ये तय होगा कि राज्यसभा की एक सीट के लिए नाम एमपी से होगा या दिल्ली से तय किया जाएगा.