लखनऊ. यूपी में अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इसके करीब चार महीने पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आज मंत्रिमंडल विस्तार किया है. इस विस्तार में यह ख्याल रखा गया है कि सभी नए मंत्रियों के सरकार में आने का, सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी को फायदा मिले. विधानसभा चुनाव की अनौपचारिक तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, इसके मद्देनजर मंत्रिमंडल में विभिन्न जाति व समुदाय के नेताओं को जगह देकर इस वर्ग के मतदाताओं का हित साधने की कोशिश की गई है. जितिन प्रसाद समेत पलटू राम, संजीव कुमार, संगीता बिंद, दिनेश खटिक, धर्मवीर प्रजापति और छत्रपाल गंगवार जैसे नाम, बीजेपी की इसी मंशा को पूरा करेंगे, ऐसी उम्मीद पार्टी कर रही होगी.
ऐन विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट विस्तार किया है, उसे सियासी हलके में बड़े दांव के रूप में देखा जा रहा है. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और तमाम अन्य छोटी-बड़ी पार्टियों की रस्साकशी को देखते हुए सीएम योगी ने बड़े सधे अंदाज में यह दांव चला है. सियासी जानकार उनके इस दांव पर गहरी नजर बनाए रखेंगे. यह देखेंगे कि ये नए चेहरे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को किस हद तक लाभ की स्थिति में रख पाते हैं.
आपको बता दें कि पिछले कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट के विस्तार की चर्चाएं चल रही थीं. इनमें तमाम नामों और नए चेहरों के आने के कयास लगाए जा रहे थे. इनमें से कई चेहरों ने तो आज शाम राजभवन में पद और गोपनीयता की शपथ ली, लेकिन इक्का-दुक्का नाम जरूर नजर नहीं आए. इनमें से एक बेबी रानी मौर्य का है. हाल ही में उत्तराखंड के राज्यपाल का पद छोड़कर आईं बेबी रानी मौर्य के भी योगी कैबिनेट में स्थान बनाने की हलचल आज पूरे दिन चलती रही, लेकिन अंतिम क्षणों में वह कहीं नहीं दिखीं. आगरा के मेयर के रूप में चर्चित मौर्य को पार्टी ने कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है.
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