जन्माष्टमी पर जानिए श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिर और उनकी खासियत
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण का पूजन व्रत श्रद्धालु पूरे समर्पण से करते हैं. मंदिर में भी साज-सजावट बेहतरीन होती है लेकिन देश में भगवान कृष्ण के कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जिनकी विशेष मान्यता है. इन मंदिरों या स्थानों के बारे में श्रीकृष्ण से संबंधित तमाम किवदंतियां भी जुड़ी हैं. यही नहीं, जन्माष्टमी पर इन मंदिरों में भारी भीड़ जुटती है. दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं. कुछ ऐसे ही प्रमुख मंदिरों के बारे में हम आपको बताते हैं. श्रीकृष्ण के प्रसिद्ध मंदिरों में एक है मथुरा जन्मभूमि. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में यह मंदिर बना है. दावा किया जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के एक कारागार में हुआ था. उस स्थान पर वर्तमान समय में एक हिस्से में मंदिर बना है, जबकि बगल में ही मस्जिद बनी है. इसके अलावा गोकुल का मंदिर भी अतिप्रसिद्ध है. गोकुल, मथुरा से महज 15 किलोमीटर दूर है. यमुना के एक तरफ मथुरा दूसरी तरफ गोकुल है. कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने बचपन में 11 साल 1 महीने व 22 दिन गोकुल में गुजारे थे. इसके अलावा वृंदावन में भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर है. वृंदावन भी मथुरा जिले में ही आता है. यहां के बांके बिहारी मंदिर अति प्रसिद्ध है. इसके पास में ही बरसाना स्थित है. दरअसल, बरसाना बीचोबीच एक पहाड़ी है. उसी के ऊपर राधा-कृष्ण का मंदिर है. कहा जाता है की राधा जी बरसाने की ही रहने वाली थीं.
गुजरात में स्थित द्वारिका का मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि मथुरा छोड़कर भगवान कृष्ण गुजरात के समुद्रत तट पर स्थित कुशस्थली चले गए थे. वहां द्वारिका नामक नगर बसाया. इसलिए उन्हें द्वारिकाधीश भी कहा जाता है. गुजरात में ही द्वारिकाधीश मंदिर है. गुजरात स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के पास प्रभास नामक क्षेत्र है, जहां पर यदुवंशियों ने आपस में लड़कर अपने कुल का अंत कर लिया था. वहीं एक साथ पर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया था. यह श्रीकृष्ण का प्रमुख तीर्थ स्थल है. राजस्थान में नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर है. यहां भगवान कृष्ण को श्रीनाथ कहते हैं. यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के वल्लभ संप्रदाय के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. इसके अलावा उड़ीसा राज्य के पुरी में जगन्नाथ धाम स्थित है. यहां मंदिर विष्णु के रूप पुरुषोत्तम नीलमाधव को समर्पित है. कहते हैं की द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे. यहां वह बड़े भाई बलभद्र बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं. कर्नाटक में उडुपी में स्थित उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर भी बेहद प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. इसका निर्माण 13वीं सदी में संत माधवाचार्य ने करवाया था.
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