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जनस्वास्थ्य विभाग के ठेकेदार व अधिकारियों ने मिलीभगत कर बहल के वाटर वर्क्स निर्माण में विभाग के लाखों रुपये का घोटाला किया है। रास्ता बना ही नहीं, रास्ते के पैसे ले लिए। इतना ही नहीं विभाग ने जलघर के लिए पाइप दिए, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने ठेकेदार से मिलकर दिए गए पाइपों की राशि भी वसूल ली। यह सब स्वास्थ्य विभाग से मांगी गई आरटीआई के दौरान मिली है।
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने भी घोटाले की रिपोर्ट विभाग के आला अधिकारियों को दी थी। इस पर स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर इन चीफ कार्यालय ने भिवानी एससी को पत्र लिखकर 3 दिन में ठेकेदार से लगभग डेढ़ करोड़ की रुपये वसूली के आदेश दिए हैं। आरटीआई से प्राप्त सूचना और स्टेट विजिलेंस की जांच में ठेकेदार के कारनामे सामने आए हैं। उसके बाद स्टेट विजिलेंस ने ठेकेदार पर रिकवरी करने के आदेश दिए हैं।
विभाग के ही रिटायर अधीक्षक अभियंता सज्जन सिंह लोहान ने हरियाणा के मुख्य सचिव व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की जांचकर कार्रवाई करने की मांग की है। सज्जन सिंह ने अपनी शिकायत में बताया है कि बहल क्षेत्र के पांच गांवों के लिए जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा वाटर वर्क्स बनाने के लिए 2013 में करीबन 5.50 करोड़ का ठेका आनन्द कुमार ठेकेदार को दिया था। वाटर वर्षा काम वाटर वर्क्स का काम 2014 में पूरा हो गया था।
उन्होंने वाटर वर्क्स के निर्माण में ठेकेदार व विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए बताया कि घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग करने के बाद बोगस बिल बनाकर सरकार के पैसे का गबन किया है। जिसको स्टेट विजिलेंस जांच में वाटर वर्क्स के फिल्टर मीडिया को रिजेक्ट किया, निर्माण सामग्री के सैम्पल भी अयोग्य पाए गए। जिसके लिए विजिलेंस ने ठेकेदार पर 27 लाख रुपये की रिकवरी डाली थी। इसके बाद सज्जन सिंह ने आरटीआई से जानकारी ली तो सच्चाई सामने आई।
स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट जारी होने से पहले शुरू किया वाटर वर्क्स
वाटरवर्क्स को अधीक्षक अभियंता भिवानी द्वारा स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट जारी होने के बाद ही शुरू किया जाना था, लेकिन बिना सर्टिफिकेट मिले ही कार्य का बिल फाइनल कर एजेंसी को पूरा भुगतान कर दिया गया। जो गलत है। सज्जन सिंह ने अपनी शिकायत में बताया है कि इस वाटर वर्क्स से दिसम्बर 2016 में पानी की सप्लाई चालू की गई, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने 2015 व 2016 का वाटर वर्क्स के मेंटेनेंस के रूप में 26 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। वहीं जून 2019 में अपनी जांच के दौरान पानी को फिल्टर कर पीने योग्य बनाने वाले इस वाटर वर्क्स के फिल्टर मीडिया को अयोग्य घोषित कर इसे तुरंत बदलने के आदेश दिए थे।
पाइप मुहैया कराने के नाम पर गलत ढंग से कर दिया 25 लाख रुपये का भुगतान
रिटायर्ड अधिकारी ने बताया है कि इस कार्य मे लगे पाइप विभाग ने मुहैया करवाए हैं, लेकिन जेई, एसडीई व एक्सईन ने ठेकेदार को पाइप मुहैया कराने नाम पर 25 लाख रुपये की राशि गलत रूप से भुगतान कर दी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि उक्त ठेकेदार से उसके सिरसा, रेवाड़ी व भिवानी सर्किल में चल रहे कार्यों से रिकवरी की जाए व ठेकेदार व गबन में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
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from KAPS Krishna Pandit
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