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चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. आरके मित्तल की किचन गार्डनिंग आमजन के लिए नजीर बनी हुई है। वीसी अपने आवास पर ही अपने सेवक बारूराम के साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं। इतना ही नहीं स्वयं गूगल पर रिसर्च कर सब्जियों व फलों की वैरायटी का पता कर उनका रोपण कर रहे हैं। उनकी बागवानी में विभिन्न प्रकार की सब्जियों के साथ फलदार पौधे लगे हुए हैं। वे अपने इस किचन गार्डन में प्रतिदिन दो घंटे का समय लगाते हैं।
वीसी का मानना है कि आजकल बजार में मिलने वाली सब्जियों और फलों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल भारी मात्रा में पाया जाता है। इससे उनकी पौष्टिकता तो नष्ट हो ही जाती है इन सब्जी एवं फलों में रसायनों एवं कीटनाशकों के अवयव अधिक होने से ये बीमारियों को निमंत्रण देती हैं। आप चाहकर भी शुद्ध उत्पाद नहीं खा सकते हो, लेकिन इसका एक सरल रास्ता है और वह है किचन गार्डनिंग। आपके पास अगर पर आंगन या छत है तो आप आसानी से रोज में इस्तेमाल आने वाली सब्जियों को उगा सकते हैं और जहर के प्रकोप से बच सकते हैं। इससे आपकी सेहत तंदरुस्त तो रहेगी ही साथ ही आप अपने घर के आंगन व छत का सदुपयोग कर जल संरक्षण में भी अपना योगदान दे सकते हैं।
किचन गार्डन में तीन बार बोई जा सकती हैं शाक-सब्जियां
वीसी की किचन गार्डनिंग में मौसमी सब्जियों के साथ-साथ मूंगफली, अमरूद, केला, मौसमी, आम व पपीता के फलदार पौधे भी लगाए हुए हैं। उनके सेवक बारूराम ने बताया कि यह आम का पेड़ फल नहीं देता था, लेकिन वीसी साहब ने खेती के जानकारों से बातचीत कर पेड़ का उपचार करवाया, जिसके चलते इस बार आम के पेड़ ने खूब फल दिया।
विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए किया हुआ है हॉबी क्लब का गठन
वीसी ने विश्वविद्यालय में भी विद्यार्थियों के लिए 11 हॉबी क्लबों का गठन किया है ताकि उनकी रूचि के मुताबिक कौशल विकास को बढ़ावा मिले और तनाव मुक्त वातावरण में उनका सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने बताया कि यदि सब्जियां आपके द्वारा उगाई होंगी तो जाहिर तौर पर इनके शुद्ध होने की गारंटी है। घर में पौधे लगाने से आपके घर में पॉजिटिव एनर्जी का भी संचार होता है जो आप में सकारात्मक विचारों को बढ़ावा देने में सहायक हैं। घरेलू कार्यों में प्रयुक्त हो चुके जल का पौधों की सिंचाई में सदुपयोग हो सकता है, जोकि जल संरक्षण को बढ़ावा है तथा घर के कूड़े-कर्कट का कम्पोस्ट खाद बना कर प्रयोग किया जा सकता है, जोकि स्वच्छता अभियान एवं कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देने में सार्थक होगा। उन्होंने बताया कि सब्जियां बिना कीमती औजारों के डिब्बों, गमलों, टिनों व छतों पर उगाई जा सकती हैं।
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from KAPS Krishna Pandit
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