जानिए ऋषि पंचमी का महत्व, व्रत विधि और कथा
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जानिए ऋषि पंचमी का महत्व, व्रत विधि और कथा


Rishi Panchami 2020 आज यानि 23 अगस्त को मनाया जा रहा है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी कहा जाता है. ये हरतालिका तिज औऱ गणेश चतुर्थी के बाद अगले दिन मनाया था. शास्त्रों में माना जाता है की अगर कोई वयक्ति ऋषि-मुनियों की पूजा करता है तो वह हर तरह के पापों से मुक्त हो जाता है. ऋषि पूजने के दिन सप्त ऋषियों को पूजा जाता है.

ऋषि पंचमी के दिन क्षमा मांगी जाती है, इस दिन स्त्री-पुरिष जाने अनजाने में हुई गलती के लिए सप्त ऋषियों के लिए व्रत करके उनसे आशीर्वाद लेती हैं. माना जाता है की ऋषि पंचमी पर अपने पितरों के नाम से दान करने से सभी रुके हुए काम पूरे हो जाते हैं और आपके सफलता मिल जाती है.  इस व्रत में मुख्य रूप से सप्तर्षियों सहित अरुंधती का पूजन किया जाता है, इसलिए इसे ऋषि पंचमी कहते हैं. बता दें इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है.

ऋषि पंचमी पर कैसे करें व्रत
1. सूर्य को मिकले से पहले स्नान कर लें और पीले वस्त्र पहने, अपने घऱ के मंदिर को गंगाजल से साफ करें.

2. किसी पटरे पर या ऊंचे स्थान पर सप्त ऋषियों की फोटो लगाएं और उसके बाद उके सामने जल भरकर कलश रखें. सप्त ऋषियों से अपनी की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगे और दूसरों की मदद करन का वचन करें, इस दौरान व्रत कथा सुनाएं, आरती करें और सभी को प्रसाद खिलायों, घर में बड़े लोगों का आर्शर्वाद ले.

3. महिलाएं माहवारी के दौरान के दोषों की क्षमा याचना करती हैं.

4. सप्त ऋषियों की पूजा हल्दी, चंदन, रौली, अबीर, गुलाल, मेंहदी, अक्षत, वस्त्र,फूलों आदि से की जाती है.

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त
शुरुआत- 22 अगस्त शाम 07 बजकर 57 मिनट हो रहा है, जो अगले दिन 23 अगस्त को शाम 05 बजकर 04 मिनट तक चलेगा. आप 23 तारीख को दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक पूजा कर सकते हैं.

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