हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान की टीम एक साथ भैंसे की नस्ल एम-29 के सात क्लोन और हिसार गाैरव के एक भैंसे का री-क्लाेन तैयार कर दुनियाभर में छा गई है। साेशल मीडिया पर आस्ट्रेलिया के अलावा न्यूजीलैंड, जापान, न्यूयार्क के वैज्ञानिकाें ने विश्व रिकाॅर्ड कायम करने वाले संस्थान के वैज्ञानिकाें की सराहना की है। यही नहीं साेशल मीडिया और संस्थान की वेबसाइट पर मैसेज भेजकर विदेशी वैज्ञानिक क्लाेनिंग टेक्नीक के बारे में पूछ रहे हैं। हालांकि विभाग की अनुमति के बिना टेक्नीक साझा नहीं की जा सकती है।
दरअसल, हाल ही में किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकाें ने क्लाेनिंग प्रक्रिया के तहत कटड़ाें के आठ क्लाेन तैयार करने में सफलता हासिल की थी। जाे संस्थान में ही माैजूद है और पूरी तरह से स्वस्थ हैं। संस्थान का दावा था कि एक साथ आठ क्लाेन तैयार कर उनके संस्थान ने विश्व रिकाॅर्ड कायम किया है। अभी तक सिर्फ वर्ष 2007 में चाइना में एक भैंसें का एक ही क्लाेन तैयार किया था। एक साथ आठ क्लाेन तैयार करने पर केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकाें काे दिल्ली में आईसीएआर के 92वें स्थापना दिवस पर पांच लाख का इनाम देकर सम्मानित किया गया था। साथ ही नाना जी देशमुख टीम अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया था।
संस्थान के निदेशक डाॅ. एसएस दहिया का कहना है कि क्लाेन बनाने पर विदेश में भी खूब प्रसिद्धि मिली है। विदेशी भी टेक्नीक के बारे में जानकारी करने काे उत्सुक है। साेशल मीडिया के माध्यम से भी विदेशी वैज्ञानिकाें के मैसेज मिले हैं।
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