जिले के तीन दाेस्ताें काे स्कूल के समय में ही पौधरोपण और पेड़ाें की देखभाल करने की जिम्मेदारी मिली ताे तीनाें ने वहीं से प्रेरित हाेकर पेड़ पाैधाें काे बचाने की ठान ली। अब तीनाें दाेस्त मिलकर जिले काे हरा-भरा बनाने में जुटे हुए हैं। अब तक तीन हजार से अधिक पाैधे लगा चुके हैं। लाेगाें काे भी गाेष्ठी के माध्यम से जागरूक करते हैं। तीनाें दाेस्त काे कई सामाजिक संगठन भी सम्मानित कर चुके हैं।
स्कूल में पांचवीं क्लास में लगाया था पहला पाैधा, बाद में जीवन का बना लिया हिस्सा
सेक्टर एक-चार निवासी एडवाेकेट बनवारी लाल ने बताया कि उन्हाेंने सबसे पहले स्कूल में पांचवीं के दाैरान पौधरोपण में हिस्सा लिया था। इसके बाद से उन्हाेंने पौधरोपण काे जीवन का हिस्सा बना लिया। इसके चलते अब तक बनवारी लाल सामाजिक स्थानाें पर 1 हजार से ज्यादा पाैधे लगा चुके हैं। यही नहीं बनवारी लाल ने बताया कि पाैधाें के संरक्षण के लिए लाेहे के ट्री गार्ड व कांटेदार झाड़ियाें का बनाया जाता है।
स्कूल में टीचर ने दी थी सफेदे के दाे पाैधे संभालने की जिम्मेदारी, उससे बढ़ने लगा पौधों से प्रेम
मार्केट कमेटी के पूर्व सचिव कृष्णलाल काकड़ का कहना है कि उन्हें सबसे पहले अध्यापक ने अाठवीं क्लास में सफेदे के दाे पाैधाें के संरक्षण की जिम्मेदारी दी थी। जिससे उनका प्रेम धीरे-धीरे पाैधाें के प्रति बढ़ता चल गया। इसके बाद अब तक कृष्णलाल काकड़ ने सार्वजनिक स्थानाें पर 700 से ज्यादा पाैधे लगाए हैं। यही नहीं उनका कहना है कि उन्हाेंने अपनी ढाणी में भी 60 से ज्यादा पेड़ लगा रखे हैं, जिनकी पिछले दाे साल से देखभाल कर रहे हैं।
निहाल माली की तरह करते थे देखभाल, वहीं से मिली प्रेरणा, अब तक 1500 पौधे लगाए
गुरु जम्भेश्वर कर्मचारी कल्याण समिति के प्रधान निहाल सिंह गाेदारा ने बताया कि प्रकृति प्रेमी हाेने के नाते अब तक वो 1500 से ज्यादा पाैधे लगा चुके हैं। जिसमें से एक हजार से ज्यादा पाैधे तो पूरे पेड़ बन चुके हैं। उन्हाेंने बताया कि जब वाे इस्माइलाबाद नाैकरी करते थे ताे विभाग के अधिकारी इनकाे माली की तरह काम करते देखते। दाेनाें दाेस्ताें के साथ मिलकर पौधरोपण करते हैं।
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