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(रमिंद्र सिंह) चौथी प्लस पीढ़ी का रफाल फाइटर जेट बुधवार दोपहर तक अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में टच डाउन कर जाएगा। 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन के कमांडिंग आफिसर एवं शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह पहले रफाल के साथ लैंड करेंगे। उनके पीछे अन्य 4 रफाल जमीं पर उतरेंगे। इन्हें रिसीव करने के लिए एयरफोर्स स्टेशन पर एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया समेत वेस्टर्न कमांड के अधिकारी मौजूद रहेंगे। बहुप्रतीक्षित विमानों के आगमन को लेकर मंगलवार दिनभर जोरदार तैयारियां की गईं।
एयरफोर्स स्टेशन में एक सैन्य सेरेमनी होगी, जोकि एयरफोर्स स्टेशन के अंदर बने शहीद स्मारक ‘ए फ्रोजन टीयर’ के पास होगी। यहीं पर वरिष्ठ एयरफोर्स अधिकारियों के अलावा रफाल लाने वाले पायलटों के परिवार भी मौजूद रहेंगे। लैंडिंग के बाद पांचों रफाल को पंक्ति में खड़ा किया जाएगा, जिसके बाद सेरेमनी होगी। ‘वॉटर सेल्यूट’ भी होगा। दोनों तरफ फायर ब्रिगेड के स्प्रे के बीच से रफाल को निकाला जाएगा।
हवा में ही रफाल में ईंधन भरा गया
- फ्रांस से आने के दौरान रफाल लड़ाकू विमानों में हवा में 30 हजार फीट की ऊंचाई पर ईंधन भरा गया।
- भारतीय वायुसेना ने फ्रांसीसी एयरफोर्स के सहयोग के लिए शुक्रिया अदा किया है।
- फ्रांस से रवानगी के बाद रफाल यूएई के अल धाफरा एयरबेस पर उतरे थे। यहां पायलटाें ने आराम किया।
- भारत आने तक करीब 10 घंटे के सफर में दो बार हवा में ही ईंधन भरा जाएगा। इसके लिए दो विमान उनके साथ अलग से रहेंगे।
एयरबेस के पास छतों पर चढ़ने व फोटोग्राफी पर बैन
- रफाल आगमन को लेकर एयरफोर्स के आह्वान पर डीएम अशोक शर्मा ने एयरफोर्स स्टेशन के आसपास धारा 144 लागू कर दी है।
- एयरफोर्स स्टेशन के नजदीक लगते स्थानों धूलकोट, बलदेव नगर, गरनाला, पंजोखरा से एयरफोर्स स्टेशन की तस्वीर लेना प्रतिबंधित है।
- 3 किलोमीटर तक ड्रोन कैमरे के इस्तेमाल भी पाबंदी होगी। एयरफोर्स स्टेशन को जाने वाली रोड सेना नगर रोड पर नाकाबंदी कर दी गई है।
- जिला पुलिस द्वारा उन स्थानों पर बुधवार नजर रखी जाएगी जहां से एयरफोर्स स्टेशन के भीतर झांका जा सकता है। कहीं भीड़ नहीं जुटने दी जाएगी।
विधायक ने किया घरों में रोशनी करने का आह्वान
अम्बाला में रफाल आगमन को लेकर विधायक असीम गोयल ने 29 जुलाई की शाम 7 बजे से लेकर 7:30 बजे तक घरों में सभी लाइटें जला खुशी व्यक्त करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा लोग खुशी जताने के लिए घरों में 5 दीप भी जलाएं।
जालंधर के रहने वाले ग्रुप कैप्टन हरकीरत के पिता रिटायर्ड ले. कर्नल तो पत्नी हैं विंग कमांडर, अम्बाला में ही हैं तैनात
पहले रफाल के साथ लैंड करने वाले ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह एक जांबाज फाइटर पायलट हैं, जिन्हें 15 अगस्त 2009 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने विषम परिस्थितियों में इंजन खराब होने पर सटीक निर्णय लेने, सूझबूझ, जान जोखिम में डाल विमान को सुरक्षित लैंड कराया था।
ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह की पृष्ठ भूमि सैन्य परिवार जालंधर से है। उनके पिता सेना से रिटायर्ड ले. कर्नल निर्मल सिंह है जबकि उनकी पत्नी अम्बाला एयरफोर्स स्टेशन में ही विंग कमांडर हैं और ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात हैं। 15 दिसंबर 2001 में एयरफोर्स में कमीशन हासिल करने वाले ग्रुप कैप्टन हरकीरत मिग-21 बाइसन और सुखोई-30 एमकेआई के पायलट भी रह चुके हैं।
अब 36 रफाल के लिए तैयार करने होंगे 100 पायलट, वेपन सिस्टम की ट्रेनिंग है चुनौतीपूर्ण
एयर कोमोडोर (रिटा.) प्रशांंत दीक्षित ने जैसा भास्कर के संवाददाता मुकेश कौशिक को बताया
रफाल जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट की ट्रेनिंग वाकई चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सबसे कठिन है उसके वेपन सिस्टम को चलाने में माहिर होना। इन हथियारों को दागने के लिए एक फाइटर पायलट को विशेष रूप से दक्ष होना होता है। मसलन, रफाल पर मिका, मीटियोर जैसे अत्याधुनिक मिसाइलें लगी हैं। इनका ग्राउंड राडार से मिलने वाले सिग्नल और रफाल के अपने इंटरफेस के बीच तालमेल किसी भी पायलट के लिए चुनौतीपूर्ण काम है। फिर हैमर मिसाइलें, स्पाइस बम और कैनन रिवाॅल्वर की फायरिंग अपने आप में कुशलता मांगती है।
रफाल के दो स्क्वाड्रन भारतीय वायु सेना में होंगे। इनके लिए 100 पायलटों की जरूरत होगी। फ्रांस में प्रशिक्षित होकर आए 15 पायलट इंस्ट्रक्टर की भूमिका निभाएंगे। नए पायलट तैयार करेंगे। यकीनन एक साल में हमारे पायलटों ने करीब 300 घंटे की फ्लाइंग की होगी।
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