कस्बे के 2 श्मशानघाट में जल्द ही शव दहन के लिए इलेक्ट्रिक चैंबर लगेंगे। सरकार ने यह कदम विशेष तौर पर कोरोना संक्रमित शवों के दहन के लिए उठाया है, क्योंकि मुलाना के एमएम मेडिकल काॅलेज को कोविड सेंटर बनाया हुआ है। वहां पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद इन्हीं श्मशान घाटों में शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। अगर किसी शव का चैंबर में संस्कार नहीं कराया जाना है तो उसकी लकड़ी से चिता भी बनाई जा सकेगी।
इसका फायदा यह होगा कि अब दहन के लिए गोहा (उपले), लकड़ी व अन्य ईंधन की भी बचत होगी। प्रदेश सरकार सभी नगर पालिकाओं के श्मशान घाटों में इलेक्ट्रिक चैंबर लगाने जा रही है। जिसका तापमान इतना निश्चित किया जाता है कि 10 मिनट में ही शव खाक हो जाता है। यह पूरी तरह प्रदूषण रहित होता है।
बराड़ा व दइया माजरा रोड पर हैं श्मशानघाट
एक श्मशानघाट बराड़ा गांव में बंसल पैलेस के पीछे तो दूसरा दइया माजरा रोड पर है, जहां इलेक्ट्रिक चैंबर लगेंगे। अगर बरसात के मौसम में किसी के शव का अंतिम संस्कार करना होता है तो ईंधन गीला होने से चिता को आग लगाने में दिक्कत आती है। इलेक्ट्रिक चैंबर लगने से अंतिम संस्कार कुछ वक्त में ही हो जाएगा। एक चिता में करीब 3 क्विंटल ईंधन लग जाता था।
इलेक्ट्रिक चैंबर बनाने के लिए लेटर मिल चुका
इलेक्ट्रिक चैंबर बनाने के लिए लेटर मिल चुका है। इससे वायु प्रदूषण भी नहीं होगा। वहीं कोरोना महामारी के चलते अंतिम संस्कार करने में आसानी होगी। यह श्मशानघाट हरियाणा सरकार कोविड महामारी के चलते बना रही है। प्रति चैंबर 40 लाख रुपए की लागत अाएगी।
रिचा पाहवा, चेयरपर्सन, नगर पालिका, बराड़ा
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