यात्रा - 23 दिसंबर को पहुंचेगी बैतूल
गांधीवादी विचारों से बनेगा समता आधारित समाज : अनीष
गांधीवादी विचारों से वैश्विक शांति एवं न्याय के लिए 'जय जगत 2020' यात्रा
आमला- न्याय और शांति दो मजबूत स्तंभ हैं, जिसे अपनाने के बाद ही दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है। इसलिए वैश्विक शांति एवं न्याय के लिए विश्व स्तर पर जय जगत यात्रा का आयोजन किया गया है। यात्रा में शामिल शांति दूत एक बार फिर बा-बापू के विचारों के साथ शांति और न्याय का संदेश देने के लिए निकल चुके हैं। आज गांधीवादी विचारों को पूर्ण रूप से अपनाने की जरूरत है, क्योंकि इसी से समता आधारित शांतिपूर्ण समाज बनाया जा सकता है। उक्त बातें एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीष कुमार ने 'जय जगत 2020' यात्रा के 23 दिसंबर से बैतूल जिले में आगमन की तैयारियों को लेकर कही। 2 अक्टूबर को दिल्ली के राजघाट से शुरू हुई 'जय जगत 2020' यात्रा से बनेगा समता आधारित हरियाणा, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के कई स्थानों से होते हुए मध्यप्रदेश में है। यात्रा के दरम्यान हर जगह शांति दूतों को भरपूर समर्थन मिल रहा है। पुलिस, प्रशासन, बौद्धिक समुदाय एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इस यात्रा का स्वागत किया जा रहा है और यात्रा के उद्देश्यों के साथ वे अपने को जोड़ते हुए अहिंसा एवं न्याय के प्रति प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं। यात्रा में 10 देशों के शांति दूत शामिल हैं। यात्रा की अगुवाई कर रहे एकता परिषद के संस्थापक प्रसिद्ध गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. का कहना है कि हमारे जीवन के हर पहलू में अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। अहिंसा का मतलब हर तरह की हिंसा से मुक्ति के साथ-साथ हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाना है। सामूहिक अहिंसा का मतलब समाज और राज्य के स्तर पर गरीबों एवं वंचितों को न्याय मिलना है। समाज एवं राज्य में शोषण आधारित व्यवस्था में अहिंसा नहीं हो सकती है, इसलिए व्यवस्था को गांधी जी के विचारों के अनुरूप परिवर्तित करना होगा। गांधीवादी नजरिए से विकास करने पर प्रकृति के प्रति हम अहिंसा का बर्ताव कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि वैश्विक शांति एवं न्याय के लिए बा-बापू यानी महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 'जय जगत 2020' यात्रा शुरू की गई है। यह यात्रा दुनिया के कई देशों से होते हुए अगले साल 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय जिनेवा पहुंचेंगी, जहां 25 से 2 अक्तूबर के दरम्यान शांति एवं न्याय के लिए समर्पित हजारों लोगों का समागम होगा। भारत की यात्रा में 50 पदयात्री लगातार साथ चल रहे हैं, जिसमें 10 देशों के शांति दूतों सहित शहरी युवा एवं ग्रामीण समुदाय के नेतृत्वकारी लोग शामिल हैं। भारत में इस यात्रा का समापन सेवा ग्राम, वर्धा, महाराष्ट्र स्थित गांधी आश्रम में होगी, जहां भारत में यात्रा के समापन पर बा-बापू की 150वीं एवं आचार्य विनोबा भावे की 125वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में शांति महासभा का आयोजन किया जाएगा।
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